नहीं रहा राजनीति का शालीन नायक
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री सुशील कोइराला का निधन, बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार।
काठमांडू। नेपाल की राजनीति में सादगी, शालीनता और सौम्यता के प्रतीक रहे पूर्व प्रधानमंत्री सुशील कोइराला का सोमवार देर रात निधन हो गया। वे 79 साल के थे। राजधानी काठमांडू के बाहरी इलाके महराजगंज में अपने घर पर 12 बजकर 50 मिनट पर उन्होंने आखिरी सांसें ली। फिल्मों में अभिनय का सपना देखने वाले राजनीति के इस नायक ने सबसे मुश्किल दौर में नेपाल का नेतृत्व किया था।
नेपाली कांग्रेस के महासचिव प्रकाश मान सिंह ने बताया कि वे निमोनिया से पीड़ित थे। हाल ही में वे कैंसर का इलाज कराकर अमेरिका से लौटे थे। उनके चिकित्सक कबीरनाथ योगी ने बताया कि वे पिछले चार दिनों से बीमार चल रहे थे। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ काठमांडू में बागमती नदी के तट पर होगा। नेपाल सरकार ने एक दिन के राष्ट्रीय अवकाश का भी एलान किया है।
संविधान के बाद छोड़ा पद
फरवरी 2014 से अक्टूबर 2015 तक वे देश के प्रधानमंत्री रहे। इसी दौरान नेपाल के संविधान का काम पूरा हुआ था। 20 सितंबर को नया संविधान लागू होने के तीन हफ्ते बाद उन्होंने अपना पद छोड़ दिया था। संविधान के विरोध में जारी आंदोलन को समाप्त कराने में भी उनकी अहम भूमिका रही। यह महज संयोग है कि विरोध-प्रदर्शन समाप्त करने के मधेशियों के एलान के कुछ घंटों बाद ही वे सदा के लिए सो गए।
संपत्ति सिर्फ तीन मोबाइल
सुशील कोइराला का जन्म 12 अगस्त 1939 को बनारस में हुआ था। उन्होंने 1954 में राजनीति में कदम रखा। पार्टी की आधिकारिक पत्रिका तरुण के वे संपादक भी रहे। नेपाल की राजनीति के सबसे ताकतवर परिवार से वे चौथे प्रधानमंत्री थे।
देश की सबसे बड़ी पार्टी के वे मौजूदा अध्यक्ष भी थे। उन्होंने शादी नहीं की थी। संपत्ति के नाम पर उनके पास केवल तीन मोबाइल थे। प्रधानमंत्री बनने से पहले संपत्ति का ब्यौरा देते हुए उन्होंने यह जानकारी दी थी। उनके पास कोई घर और वाहन नहीं था।
भारत से गहरा नाता
सुशील कोइराला भारत के साथ मजबूत संबंधों के आजीवन पक्षधर रहे। बनारस में पैदा हुए और जीवन का काफी समय भारत में गुजारा। राजशाही के कारण 1960 में उन्होंने 16 साल राजनीतिक निवार्सन का जीवन भारत में बिताया। 1979 में विमान अपहरण में शामिल होने के कारण वे तीन साल तक भारतीय जेल में भी रहे। इस विमान को नेपाली कांग्रेस के लिए फंड जुटाने के लिए अगवा किया गया था।
सुषमा पहुंचीं काठमांडू
सुशील कोइराला को श्रद्धांजलि देने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नेतृत्व में भारत से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल काठमांडू पहुंचा। कांग्रेस के आनंद शर्मा, जदयू अध्यक्ष शरद यादव, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी सुषमा के साथ हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने यह जानकारी दी।
देश की प्रगति और विकास के लिए जीवन समर्पित करने वाला नेता नेपाल ने खो दिया है। उन्होंने जिस सादगी से जीवन जिया वह हम सभी के लिए सीख है।
-प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति
सुशील कोइराला जी के निधन से भारत ने एक मूल्यवान दोस्त और नेपाल ने दशकों तक सेवा करने वाला बड़ा नेता खो दिया है। उनकी सादगी में हम सभी के लिए सीख है। इस दुखी की घड़ी में मेरी संवेदनाएं कोइराला परिवार और नेपाल वासियों के साथ हैं।
-नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
उन्होंने बहुत ही मुश्किल दौर में अपने देश का नेतृत्व किया। भारत के साथ संबंधों को मजबूती देने के लिए उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।
-सोनिया गांधी