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सीमा पर शांति बनाए रखने पर भारत-म्यांमार सहमत

म्यांमार में पिछले साल हुए चुनाव में नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी।

By Monika minalEdited By: Published: Mon, 22 Aug 2016 11:13 AM (IST)Updated: Mon, 22 Aug 2016 06:51 PM (IST)
सीमा पर शांति बनाए रखने पर भारत-म्यांमार सहमत

प्यी दौ (म्यांमार), प्रेट्र। नगालैंड में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पिछले हफ्ते भारतीय सेना और प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन एनएससीएन (खपलांग) के बीच हुई जबर्दस्त गोलीबारी के बाद सोमवार को भारत और म्यांमार साथ लगती सीमा पर शांति और सुरक्षा कायम रखने पर सहमत हुए। दोनों देशों के बीच यह सहमति विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की एक दिवसीय म्यांमार यात्रा के दौरान बनी।

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म्यांमार में पिछले साल हुए चुनाव में नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। पांच दशक के सैन्य शासन के बाद मार्च में नई सरकार गठन के बाद भारत की ओर से यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा है। इस दौरान सुषमा ने राष्ट्रपति यू. हतिन क्याव और स्टेट काउंसलर व विदेश मंत्री आंग सान सू की से मुलाकात की। सू की से मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री ने उन्हें देश में पहली बार हुए वास्तविक चुनाव में जीत पर बधाई दी।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भेजा गया संदेश देते हुए सुषमा ने कहा, 'भारत आपकी लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने और आपके लोगों के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है।' इस यात्रा में विदेश सचिव एस. जयशंकर और विदेश मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी भी सुषमा स्वराज के साथ हैं।सूत्रों के मुताबिक, वार्ता के दौरान दोनों पक्ष साथ लगती सीमा पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने पर सहमत हुए। म्यांमार ने कहा कि उनकी ओर से उपद्रवी समूहों की गतिविधियों को किसी भी तरह का समर्थन नहीं दिया जाएगा। साथ ही म्यामांर ने सुझाव दिया कि इस मुद्दे को स्थापित द्विपक्षीय मंचों में सहयोग के माध्यम से सुलझाया और आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

विदेश मंत्री ने म्यांमार को भारत की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया, जिसके लिए म्यांमार की नई सरकार पर मजबूत पकड़ रखने वालीं सू की ने धन्यवाद दिया।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने राष्ट्रपति यू. हतिन क्याव के हवाले से बताया, 'भारत एक ऐसा देश है जिससे उनका देश लोकतंत्र के मायने सीख सकता है।' सुषमा ने म्यांमार के राष्ट्रपति और सू की दोनों को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। संयोग से सुषमा की यात्रा सू की की हाई प्रोफाइल चीन यात्रा के कुछ दिन बाद हुई है।बता दें कि म्यांमार की पूर्ववर्ती जुंटा काल (सैन्य शासन) के संविधान के मुताबिक सू की के राष्ट्रपति बनने पर प्रतिबंध है। देश की पहली नागरिक सरकार पर भी जुंटा का कड़ा नियंत्रण है।

दरअसल, इस संविधान के मुताबिक ऐसा व्यक्ति जिसके जीवनसाथी या बच्चों ने विदेश में जन्म लिया हो, वह शीर्ष पद पर आसीन नहीं हो सकता। सू की ने ब्रिटिश नागरिक से शादी की है और उनके दो बेटे हैं। यही नहीं, नई सरकार में भी सेना ने गृह, रक्षा और सीमावर्ती मामलों जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय अपने पास रखे हैं क्योंकि संसद की 25 प्रतिशत सीटें गैर-निर्वाचित सैनिकों के लिए आरक्षित हैं।

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