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ट्रंप-पुतिन के बीच G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई गुप्त बैठक: रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार ,उनके मुताबिक इस आधिकारिक बैठक के बाद भी ट्रंप और पुतिन के बीच दोबारा मीटिंग हुई।

By Mohit TanwarEdited By: Published: Wed, 19 Jul 2017 10:45 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jul 2017 03:15 PM (IST)
ट्रंप-पुतिन के बीच G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई गुप्त बैठक: रिपोर्ट
ट्रंप-पुतिन के बीच G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई गुप्त बैठक: रिपोर्ट

वाशिंगटन, रायटर। विवादों के घेरे में रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के रिश्तों को लेकर नई जानकारी प्रकाश में आई है। जर्मनी में सात जुलाई को जी 20 देशों के सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक से पहले भी दोनों नेता एक बार अघोषित मुलाकात कर चुके थे। यह मुलाकात राष्ट्राध्यक्षों के डिनर के बाद हुई थी। व्हाइट हाउस ने इस अघोषित मुलाकात की पुष्टि की है।

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूसी हस्तक्षेप को लेकर पहले से ही विवाद है। इसको लेकर अमेरिका में एक उच्चस्तरीय जांच भी चल रही है। कहा जाता है कि चुनाव में पुतिन के इशारे पर हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ ट्रंप की मदद की गई। पुतिन चाहते थे कि ट्रंप चुनाव जीतें। वह रूस के लिए हितकर होंगे। सात जुलाई को ट्रंप और पुतिन की द्विपक्षीय बैठक दो घंटे से ज्यादा समय तक चली थी और इसे दोनों की पहली वार्ता माना गया था।

इस बैठक के बाद ट्रंप ने कहा था कि पुतिन ने साफ कहा कि उन्होंने अमेरिकी चुनाव में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं था, दोनों एक दिन पहले हुए डिनर के बाद भी बैठकर बात कर चुके थे। व्हाइट हाउस ने अब इस पर सफाई दी है। कहा है कि यह कोई छिपाई गई दूसरी मुलाकात नहीं थी। यह डिनर के बाद हुई सामान्य बातचीत थी जिसे सार्वजनिक करने लायक नहीं माना गया। ऐसा कुछ नहीं था जिसको लेकर कहा जाए कि व्हाइट हाउस इसे छिपाने की कोशिश कर रहा था।

मंगलवार रात ट्रंप ने भी ट्वीट करके कहा, एक बार फिर से झूठी खबर प्रचारित की गई। पुतिन के साथ गुप्त बैठक की खबर बीमार मानसिकता वालों की देन है। सभी जानते हैं कि जर्मनी की चांसलर ने जी 20 के सभी नेताओं को उनके जीवन साथियों के साथ आमंत्रित किया था। उसी में सामान्य बातचीत हुई। इस बैठक के बारे में सबसे पहले अमेरिकी सुरक्षा तंत्र के अधिकारी इयान ब्रेमर ने सवाल उठाया। क्योंकि वहां पर ट्रंप की मदद के लिए जो दुभाषिया तैनात था उसे रूसी भाषा नहीं आती थी। ऐसे में ट्रंप को बातचीत के लिए रूसी दुभाषिये पर ही निर्भर होना पड़ा। अमेरिकी तंत्र ने इसे अपने राष्ट्रीय हित के खिलाफ माना।

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