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लीबिया में हमले के लिए ब्रिटिश संसद ने कैमरन को ठहराया 'गलत '

ब्रिटिश संसद ने लीबिया में हमले के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की जमकर आलोचना की है। वर्ष 2011 में लिए गए इस निर्णय को समिति ने कैमरन की अवसरवादी नीति करार दिया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 15 Sep 2016 12:03 PM (IST)Updated: Thu, 15 Sep 2016 12:46 PM (IST)
लीबिया में हमले के लिए ब्रिटिश संसद ने कैमरन को ठहराया 'गलत '

लंदन। ब्रिटिश संसद की एक समिति ने वर्ष 2011 में लीबिया के मामले में दखल देने और वहां पर बम बरसाने की तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की नीति को 'अवसरवादी' बताते हुए इसको गलत करार दिया है। इसके साथ ही समिति ने उत्तरी अफ्रीका में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के पनपने के लिए भी कैमरन को ही जिम्मेदार ठहराया है।

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लीबिया में ब्रिटेन-फ्रांस के हस्तक्षेप की कड़ी़ आलोचना

एक अंग्रेजी वेबसाइट की खबर के मुताबिक हाउस आॅफ कॉमंस की विदेश मामलों की समिति के सांसदों ने 2011 में लीबिया में ब्रिटेन और फ्रांस के हस्तक्षेप की कड़ी़ आलोचना की है। लीबिया में वर्ष 2011 में शुरू हुए विद्रोह के बाद ही वहां के नेता मोहम्मद गद्दाफी को सत्ता से हटाया गया था। इस सघंंर्ष के दौरान ही विद्रोहियों ने गद्दाफी को पकड़कर मार डाला था। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 की गर्मियों तक असैन्य नागरिकों की सुरक्षा के लिए किया गया दखल सत्ता परिवर्तन की अवसरवादी नीति में बदल गया। उस नीति में गद्दाफी के बाद की लीबिया का समर्थन करने और उसे बनाने की कोई रणनीति नहीं थी।

हमलों के बाद लीबिया में फैली अशांति

एक अंग्रेजी अखबार की खबर के अनुसार संसद की समिति ने कैमरन पर गद्दाफी को हटाए जाने के बाद देश के लिए बिना किसी सुसंगत नीति के सत्ता परिवर्तन का समर्थन करने का आरोप लगाया है। लीबिया में हुए विद्रोह के बाद ब्रिटेन और फ्रांस ने वहां हवाई हमले किए थे। गद्दाफी द्वारा और हिंसा किए जाने की आशंका में पश्चिमी ताकतों ने कार्रवाई की, लेकिन उसके बाद से देश में हजारों लोग मारे गए हैं और अशांति अभी तक जारी है।

लीबिया की अर्थव्यवस्था ध्वस्त

समिति ने अपनी 49 पेज की रिपोर्ट में कहा है कि इस फलस्वरूप राजनीति और अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई, मिलिशिया और आदिवासी कबीलों के बीच युद्ध शुरू हो गया। मानवीय और शरणार्थी संकट, बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन, गद्दाफी की सत्ता के हथियार पूरे देश क्षेत्र में फैल गए और उत्तर अफ्रीका में आइएस पनप गया।’

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अमेरिका के सुर में सुर

विदेश मामलों की समिति की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने फैसले से डेविड कैमरन सुसंगत लीबिया रणनीति बना पाने में नाकाम रहे। यह आलोचना अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की टिप्पणी को दोहराती है। ओबामा ने इस साल कहा था कि ब्रिटेन और फ्रांस ने संघर्ष के बाद लीबिया में पर्याप्त काम नहीं किया है। गद्दाफी को सत्ता से हटाए जाने के बाद लीबिया हिंसा में फंस गया। प्रतिद्वंद्वी सरकारें, सैकड़ों की संख्या में मिलिशिया, और तथाकथित इस्लामिक स्टेट ने वहां अपनी पकड़ बना ली है।

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