साइबर अटैक की चपेट में विश्व की कई कंपनियां, ‘वानाक्राई’ का संदेह
एक बार फिर साइबर अटैक ने दुनिया में कई देशों के बैंकों, एयरपोर्ट और अन्य सेवाओं को ले लिया है। यूरोप पर सबसे इसका अधिक असर है।
नई दिल्ली (रायटर्स)। मंगलवार को रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी, यूक्रेन के बैंक व मल्टीनेशनल कंपनियां साइबर अटैक की चपेट में आ गयी। यह हमला उसी तरह के वायरस के कारण हुआ है जिसने पिछले माह 300,000 से अधिक कंप्यूटरों को अपने चपेट में ले लिया था।
यूक्रेन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। बताया जा रहा है कि यहां सबकुछ ठप्प हो गया है। रूस की सबसे बड़ी ऑयल कंपनी के सिस्टम भी हैक कर लिए गए हैं।
यूक्रेन के अधिकारियों ने देश के पॉवर ग्रिड और साथ ही बैंकों, सरकारी दफ्तरों के कंप्यूटरों में गंभीर घुसपैठ की जानकारी दी है। वहां के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने एक काले कंप्यूटर स्क्रीन की तस्वीर डालते हुए लिखा- पूरा नेटवर्क बंद हो चुका है। रुस की रोसनेफ्ट तेल कंपनी ने भी हैकिंग का शिकार होने की खबर देते हुए कहा कि वह भारी नुकसान से बाल-बाल बचा। वहीं डेनमार्क की जहाजरानी कंपनी एपी मोलर-मएर्स्क ने भी ऐसी ही जानकारी दी।
इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि हमला यूरोप से बाहर तक फैल चुका है। अमेरिकी दवा कंपनी मर्क ने कहा कि उसके कंप्यूटर सिस्टम भी हमले का शिकार हुए हैं। रैनसमवेयर के हमलों से सचेत और इस पैनी नजर रखने वाले साइबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों की मानें, तो मर्इ के महीने में ही दुनिया के 150 देशों में कंप्यूटरों पर वार करने वाले रैनसमवेयर वानाक्राई के चलते भारत में करीब 40,000 से अधिक कंप्यूटर साइबर हमलों की चपेट में आए थे। इस हमले के साथ रैनसमवेयर के हमलों के शिकार देशों में भारत तीसरा सबसे बड़ा देश रहा है।
यह संभावना जतायी जा रही है कि यह हमला यूक्रेन से किया गया है। इसमें ‘Eternal Blue’ नामक कोड है जिसके बारे में साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट का मानना है कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी (NSA) से चोरी हुई और पिछले माह रैनसमवेयर अटैक ‘वानाक्राई’ में भी इसका उपयोग किया गया। साइबर सिक्योरिटी फर्म के चीफ एक्जीक्यूटीव केविन जॉनसन ने कहा, साइबर अटैक आसानी से हमारा विनाश कर सकते हैं। कंपनियां इस मुश्किल से निपटने के लिए कुछ नहीं कर रही हैं।‘
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