मनुष्यों की हरकतों का नतीजा है ग्लोबल वार्मिग
पहले तो सिर्फ संभावनाएं ही जताई जा रही थीं लेकिन अब यह बात पूरे यकीन के साथ कही जा सकती है कि ग्लोबल वार्मिग मनुष्यों की हरकतों का नतीजा है। जलवायु परिवर्तन पर एक अंतर सरकारी पैनल आइपीसीसी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। हालांकि दो हजार पन्नों की यह रिपोर्ट सोमवार को जारी होगी लेकिन इसके महत्वपूर्ण निष्कर्षो को शुक्रवार को प्रकाशित किया गया है।
स्टाकहोम। पहले तो सिर्फ संभावनाएं ही जताई जा रही थीं लेकिन अब यह बात पूरे यकीन के साथ कही जा सकती है कि ग्लोबल वार्मिग मनुष्यों की हरकतों का नतीजा है।
जलवायु परिवर्तन पर एक अंतर सरकारी पैनल आइपीसीसी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। हालांकि दो हजार पन्नों की यह रिपोर्ट सोमवार को जारी होगी लेकिन इसके महत्वपूर्ण निष्कर्षो को शुक्रवार को प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों ने 50 वर्षो के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि बहुत हद तक ग्लोबल वार्मिग मानव की देन है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रायोजित इस पैनल ने 2007 में अपने पिछली रिपोर्ट में इसकी संभावना व्यक्त की थी। ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अब इसके पक्के सबूत हैं और यह उन्नत स्तर पर आकलन, जलवायु प्रणाली की स्पष्ट समझ और बढ़ते तापमान के प्रभाव का विश्लेषण करने के बेहतर मॉडल के कारण संभव हुआ है। वर्किंग ग्रुप के सह अध्यक्ष किन दाहे ने कहा कि वैज्ञानिक आकलन से यह पता चलता है कि वातावरण और समुद्र गर्म हो गए हैं, बर्फबारी और बर्फ की मात्रा में कमी आई है, वैश्विक स्तर पर समुद्र का जलस्तर बढ़ा है और ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हुई है।
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आइपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में इस सदी के अंत तक समुद्र के जलस्तर में 10 से 32 इंच के वृद्धि का आकलन किया है जबकि अपनी पूर्व रिपोर्ट में 7 से 23 इंच वृद्धि की भविष्यवाणी की थी। शताब्दी के अंत तक दुनिया का औसत तापमान 0.3 से 4.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
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