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नवाज शरीफ ने बेनजीर के खिलाफ चुनाव लड़ने को आेसामा से लिए थे पैसे!

एक किताब में खुलासा किया गया है कि पाक पीएम नवाज शरीफ ने बेनजीर भुट्टो के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए अलकायदा चीफ ओसामा बिन लादेन से पैसे लिए थे।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 29 Feb 2016 10:01 AM (IST)Updated: Tue, 01 Mar 2016 09:45 AM (IST)
नवाज शरीफ ने बेनजीर के खिलाफ चुनाव लड़ने को आेसामा से लिए थे पैसे!

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को लेकर एक किताब में हैरतअंगेज खुलासा किया है। इसमें कहा गया है कि नवाज शरीफ ने बेनजीर भुट्टो के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए अलकायदा के ओसामा बिन लादेन से पैसे लिए थे। पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक यह किताब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक्स ऑपरेटिव खालिद ख्वाजा की पत्नी शमामा खालिद ने लिखी है।

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अपनी कितान खालिद ख्वाजा: शहीद ए अमन में खुलासा किया है पीएमएल चीफ मियां मोहम्मद नवाज शरीफ ने अलकायदा के संस्थापक अोसामा बिन लादेन से बेनजीर भुट्टो के खिलाफ चुनाव लड़ने केे लिए पैसे लिए थे। शमाम खालिद ने दावा किया है कि इस्लामी व्यवस्था लाने के शरीफ के संकल्प को ख्वाजा और ओसामा ने पसंद किया था। किताब के मुताबिक यह पैसे जिया शासन के खत्म होने के बाद लिए गए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद शरीफ ओसामा से किए हर वादे पर मुकर गए।

उन्होंने किताब में कुछ अहम दस्तावेजों के आधार पर लिखा ओसामा से नवाज को मिलवाने में ख्वाजा की अहम भूमिका थी और वह नवाज के काफी करीब थे। इस बात की पुष्टि के लिए उन्होंने पूर्व आईएसआई के डीजी आैर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल हामिद गुल के नोट्स का इस्तेमाल किया गया है। इस किताब में लिखा है कि अब्दुल्लाह आलम ने ख्वाजा को ओसाम से मिलवाया था। आजम को विश्व स्तर पर जिहाद को शुरू करने के तौर पर जाना जाता रहा है।

आजम एक फिलीस्तीन का सुन्नी मुस्लिम था और उसका काम फंड एकत्रित कर जिहाद के लिए युवाओं की भर्ती करना था। इतना ही नहीं वह खुद ओसामा का संरक्षक भी था और उसके ही कहने पर ओसामा ने अफगानिस्तान की राह पकड़ी थी।

किताब के मुताबिक ख्वाजा 26 मार्च 2010 को उत्तरी वजरीस्तान में दाखिल हुआ था। उस वक्त उसके साथ एक पत्रकार और एक रिटायर्ड कर्नल भी था जिनकी हत्या कर दी गई थी। लेकिन बाद में ख्वाजा का भी कुछ पता नहीं चला था। बाद में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एशियन टाइगर ग्रुप ने उसकी हत्या करने की बात कबूल की थी। हालांकि इस तरह का ग्रुप पहले कभी सामने नहीं आया था। किताब के मुताबिक ख्वाजा उत्तरी वजरीस्तान में दूसरे जगहों पर हुई भारी बमबारी के चलते आया था।

शमीमा ने अपनी किताब में लिखा है कि यहीं पर ख्वाजा तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क के संपर्क में आया था। किताब के मुताबिक कई जगहों पर ख्वाजा की मदद लश्कर ए झांगी संगठन ने भी की थी जिसका चीफ उस्मान पंजाबी था।

इस किताब में शमीमा ने ख्वाजा की मौत के पीछे भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ और अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ भी बताया है। किताब के मुताबिक उसकी मौत के बाद दिखाया गया था कि उसका लिंक लाल मस्जिद हमले से था।


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