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भारत के सैन्य अभ्यास से बौखलाया चीन, लगाया ये गंभीर अारोप

दक्षिण चीन सागर में चीन ने कई स्थानों पर कृत्रिम द्वीप बनाकर चीन ने उनमें सैन्य तैनाती की है। उसी सागर के हिस्से में इन दिनों भारत व सिंगापुर की नौसेनाएं संयुक्त अभ्यास कर रही हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 23 May 2017 09:31 AM (IST)Updated: Tue, 23 May 2017 10:38 AM (IST)
भारत के सैन्य अभ्यास से बौखलाया चीन, लगाया ये गंभीर अारोप
भारत के सैन्य अभ्यास से बौखलाया चीन, लगाया ये गंभीर अारोप

बीजिंग(एजेंसी)। सिंगापुर के साथ दक्षिण चीन सागर में भारत का नौसैनिक युद्धाभ्यास चीन को अखर रहा है। चीन के रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करके भारत चीन के विवादित मसलों में पड़ने की अपनी नीति से दूर जा रहा है। दक्षिण चीन सागर पर चीन अपना दावा जताता है। हिस्सेदारी को लेकर फिलीपींस के पक्ष में आए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को भी उसने मानने से इन्कार कर दिया है। 

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दक्षिण चीन सागर में चीन ने कई स्थानों पर कृत्रिम द्वीप बनाकर चीन ने उनमें सैन्य तैनाती की है। उसी सागर के हिस्से में इन दिनों भारत व सिंगापुर की नौसेनाएं संयुक्त अभ्यास कर रही हैं। अभ्यास के दौरान वहां पर पनडुब्बी रोधी उपकरण की तैनाती के भारत के उद्देश्य को भांपते हुए चीनी रक्षा विशेषज्ञों ने कहा है कि यह हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बी के भ्रमण का जवाब जैसा है। यह बात चीनी सेना की रॉकेट फोर्स में काम कर चुके सोंग जोंगपिंग ने सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स से कही है।

उनके अनुसार, भारत ने दक्षिण चीन सागर मामले में चीन के खिलाफ कुछ न करने का वादा किया है लेकिन अब वह सैन्य अभ्यास करके उससे दूर जा रहा है। गुरुवार से शुरू हुआ यह सैन्य अभ्यास सात दिन चलेगा। दोनों नौसेनाओं के बीच यह 24 वां वार्षिक अभ्यास है। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनीइंग ने हाल ही में कहा है कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक है कि कोई भी देश अपने पड़ोसी के हितों के खिलाफ काम न करे। जाहिर है उनका इशारा भारत-सिंगापुर के दक्षिण चीन सागर में नौसैनिक अभ्यास की ओर था।

उल्लेखनीय है कि भारत और जापान द्वारा मिलकर तैयार किया जा रहा फ्रीडम कॉरीडोर भी चीन के न्यू सिल्क रोड प्रोजेक्ट का जवाब माना जा रहा है। इससे भी चीन बौखलाया हुआ है। दक्षिण एशिया मामलों के चीनी जानकार क्वैन फेंग इसे भारत का राजनीतिक निवेश मान रहे हैं। ईरान के चाबहार पोर्ट, श्रीलंका त्रिंकोमाली पोर्ट और थाईलैंड-म्यांमार सीमा पर स्थित दावेई पोर्ट में भारत की रचि को भी चीनी विशेषज्ञ इसी तौर पर देख रहे हैं।

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