भारत की सुरक्षा परिषद में एंट्री रोकने के लिए चीन ने दी रिश्वत!
संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्व प्रेसिडेंट जॉन एशे को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एशे की गिरफ्तारी के बाद भारत के इस संदेह को मजबूती मिली है कि सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया को बाधित करने के लिए यूएन अधिकारियों को बतौर रिश्वत पैसे दिए जा
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्व प्रेसिडेंट जॉन एशे को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। एशे की गिरफ्तारी के बाद भारत के इस संदेह को मजबूती मिली है कि सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया को बाधित करने के लिए यूएन अधिकारियों को बतौर रिश्वत पैसे दिए जा रहे हैं। जॉन एशे पर चीन से रिश्वत लेने का आरोप लगा है।
गौरतलब है कि अक्टूबर की शुरुआत में एंटिगुआ और बरबुडा के पूर्व राजदूत जॉन एशे पर अमेरिकी अटॉर्नी अधिकारी प्रीत भरारा ने चीनी कारोबारियों और अधिकारियों से 13 लाख डॉलर रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। जॉन एशे को यह रकम मकाऊ में संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित कॉन्फ्रेंस सेंटर के समर्थन के लिए दी गई थी।
भरारा ने यह आरोप भी लगाया कि चीनी नागरिकों ने एंटिगुआ में कारोबार के लिए जॉन एशे को लाखों डॉलर दिए। हालांकि, इस रिश्वत प्रकरण से जुड़ी ज्यादा बातें फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई हैं। फिर भी यह समझने के लिए यह प्रकरण काफी है कि चीन किस तरह से संयुक्त राष्ट्र के कामकाज को प्रभावित कर रहा है।
भारत की दिलचस्पी इस दावे में ज्यादा है कि जॉन एशे को चीनी हितों के संरक्षण के लिए यह रकम दी गई थी। इसी के तहत भारत का यह मानना है कि इसका संबंध सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया से भी है क्योंकि चीन शुरू से इस सुधार का विरोध करता रहा है।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैनहट्टन के अटॉर्नी प्रीत भरारा ने जॉन एशे की गिरफ्तारी के बाद कहा कि जांच के बाद और भी आरोप लगाए जा सकते हैं। इसके साथ ही जांच अधिकारी इस बात की भी तस्दीक कर रहे हैं कि संयुक्त राष्ट्र के कामकाज में भ्रष्टाचार का किस कदर दखल है?
साभारः नई दुनिया