अलेप्पो में ठंड और भूख से मर रहे बच्चे
संयुक्त राष्ट्र और सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने सोमवार को फंसे लोगों को निकालने का काम जारी रहने की पुष्टि की।
बेरुत, रायटर। सीरिया के पूर्वी अलेप्पो में फंसे लोगों की स्थिति दयनीय है। कड़ाके की ठंड और भूख से कई बच्चों की मौत हो गई है। लोग कपड़े जलाकर खुद को गर्म रख रहे हैं। सहायताकर्मियों ने बाहर निकाले गए लोगों के हवाले से यह जानकारी दी है।
बाहर निकालने के काम की निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक भेजने के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान से पहले यह खबर सामने आई है। अमेरिका ने रूस और फ्रांस में समझौता होने के कारण सर्वसम्मति से प्रस्ताव के पारित होने की उम्मीद जताई है। अलेप्पो के हालात पर मंगलवार को तुर्की, रूस और ईरान के बीच भी बातचीत होनी है।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र और सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने सोमवार को फंसे लोगों को निकालने का काम जारी रहने की पुष्टि की। संरा राहत कार्यबल के अध्यक्ष जेन इग्लैंड ने बताया कि लोगों को निकालने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। सभी लोगों को बहार निकालने के लिए नौ से से ज्यादा बसों की जरूरत है। सोमवार को 89 बस पूर्वी अलेप्पो से लोगों को लेकर निकले। एक अनाथालय में बंधक बने करीब 50 बच्चे भी बाहर निकाले गए हैं। तुर्की के अनुसार रविवार को समझौता दोबारा बहाल होने के बाद से 20 हजार लोग बाहर निकाले गए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने पिछले सप्ताह पांच हजार विद्रोहियों सहित 50 हजार लोगों के फंसे होने का अनुमान लगाया था। बीते गुरुवार को भी करीब पांच हजार लोग निकाले गए थे।
विद्रोहियों और सेना के बीच गतिरोध का कारण बने अल-फाउआ और काफराया से भी लोगों को निकालने का काम शुरू हो गया है। चिकित्सकों और स्वयंसेवियों की टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. अहमद डविस ने बताया कि सोमवार तड़के इन दोनों गांवों से करीब तीन हजार लोग निकाले गए। इससे पहले रविवार को पांच बसों को हथियारबंद हमलावरों द्वारा जलाने के कारण इन दोनों गांव से लोग निकाले नहीं जा सके थे। सेना इसके लिए नुसरा फ्रंट को जिम्मेदार बता रही है। वहीं, विद्रोही गुटों का कहना है कि हमलावर सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थक थे।
गौरतलब है कि पूर्वी अलेप्पो पर नियंत्रण सीरिया में 2011 से जारी गृहयुद्ध में सेना को मिली अब तक की सबसे बड़ी सफलता है। 2012 से ही यह इलाका विद्रोहियों का गढ़ बना हुआ था। सेना ने रूसी हवाई हमलों और शिया मिलिशिया की मदद से विद्रोहियों को खदेड़ने का अभियान मध्य नवंबर में शुरू किया था। 90 फीसद विद्रोही इलाके पर सेना का नियंत्रण होने के बाद रूस और तुर्की की पहल पर इन इलाकों में फंसे लोगों को बाहर निकालने का समझौता बीते गुरुवार को अमल में आया था। लेकिन, यह 24 घंटे में ही यह टूट गया था।
सीरिया में विद्रोहियों के गढ़ अलेप्पो से हजारों लोगों ने किया पलायन