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एलिस मुनरो को मिला पुरस्कार नोबेल 2013 साहित्य

इस बार साहित्य की दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार यानी नोबेल पुरस्कार 82 वर्षीय कनाडा की एलिस मुनरो को दिया गया। मुनरो ने किशोरावस्था में ही कहानियां लिखनी शुरू कर दी थीं। पुरस्कार समिति ने उन्हें 'लघु कहानी का मास्टर' कहा है। बहुत कम साक्षात्कार देती हैं। प्रचार से दूर रहना पसंद करती है। कुछ समालोचक मुनरो को कनाडा का 'एंटन चेखव' कहते हैं। रूसी चिकित्सक और लेखक चेखव को इतिहास में लघु कथाओं के महान लेखकों में शुमार किया जाता है।

By Edited By: Published: Fri, 11 Oct 2013 10:26 AM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2013 10:28 AM (IST)
एलिस मुनरो को मिला पुरस्कार नोबेल 2013 साहित्य

ओटावा। इस बार साहित्य की दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार यानी नोबेल पुरस्कार 82 वर्षीय कनाडा की एलिस मुनरो को दिया गया। मुनरो ने किशोरावस्था में ही कहानियां लिखनी शुरू कर दी थीं। पुरस्कार समिति ने उन्हें 'लघु कहानी का मास्टर' कहा है। बहुत कम साक्षात्कार देती हैं। प्रचार से दूर रहना पसंद करती है। कुछ समालोचक मुनरो को कनाडा का 'एंटन चेखव' कहते हैं। रूसी चिकित्सक और लेखक चेखव को इतिहास में लघु कथाओं के महान लेखकों में शुमार किया जाता है।

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12 लाख डॉलर (लगभग साढ़े सात करोड़ रुपये) साहित्य का नोबेल इस वर्ष के नोबेल पुरस्कारों में चौथा है। आगामी दस दिसंबर को स्टॉकहोम में आयोजित कार्यक्रम में प्रदान किया जाएगा।

सिद्ध रचनाएं : हू डू यू थिंक यू

आर (1978), द मूंस ऑफ जूपीटर (1982), रनअवे (2004), द व्यू फ्राम कैसल रॉक (2006) और टू मच हैपीनेस (2009) उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएं हैं।

रॉथमैन, शेकमैन और सुडॉफ को चिकित्सा का नोबेल

उनकी कहानियों के संग्रह 'हेटशिप, फ्रेंडशिप, कोर्टशिप, लवशिप, मैरिजशिप' (2001) पर 2006 में फिल्म 'अवे फ्राम हर' बनी थी। उनका हालिया कलेक्शन 'डियर लाइफ' (2012) है। यह पुरस्कार जीतने वाली पहली कनाडाई नागरिक और 13वीं महिला हैं। 2009 में उनकी बाइपास सर्जरी हुई थी। उसी दौरान उन्होंने बताया था कि उनका कैंसर का इलाज चल रहा है।

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साहित्य का नोबेल 1901-2012 तक 109 लेखकों को दिया जा चुका है। हालांकि इस दौरान सात बार (1914, 1918, 1935, 1940, 1941, 1942 और 1943) यह पुरस्कार किसी को भी प्रदान नहीं किया गया क्योंकि किसी को उपयुक्त नहीं पाया गया था। 2007 में यह सम्मान पाने वाली ब्रिटेन की डोरिस लेसिंग अब तक की सबसे उम्रदराज विजेता रहीं। उस समय उनकी उम्र 88 वर्ष थी। अभी तक सिर्फ 12 महिलाओं को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है। 1909 में यह पुरस्कार जीतने वाली स्वीडन की सेल्मा लागेर्लाफ पहली महिला थीं।

किसी को भी साहित्य का नोबेल दोबारा नहीं मिला है। कई लोगों का मानना है कि ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को शांति का नोबेल दिया गया था। जबकि उन्हें 1953 में साहित्य का नोबेल मिला था। अब तक चार बार दो-दो लेखकों ने इस पुरस्कार को साझा किया है। इस पुरस्कार को पाने वाले सबसे युवा लेखक द जंगल बुक के लिए विख्यात रडयार्ड किपलिंग हैं। 1907 में जब उन्हें यह अवार्ड दिया गया था उस समय उनकी उम्र 42 वर्ष थी।

टैगोर के पुरस्कार के 100 साल हुए पूरे

आज से सौ साल पहले यानी 1913 में भारतीय कवि रवींद्रनाथ टैगोर को उनकी प्रसिद्ध रचना गीतांजलि के लिए साहित्य के क्षेत्र में नोबेल मिला था। उसके बाद किसी भी भारतीय को यह पुरस्कार नहीं मिला।

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