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बोईंग भारत ला सकती है एफ 18 सुपर होरनेट की निर्माण इकाई

बोईंग का इरादा भारत में यह इकाई संयुक्त उद्यम के तौर पर स्थापित करने का है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Fri, 18 Nov 2016 02:55 AM (IST)Updated: Fri, 18 Nov 2016 06:17 AM (IST)
बोईंग भारत ला सकती है एफ 18 सुपर होरनेट की निर्माण इकाई

नितिन प्रधान, सेंट लुइस (अमेरिका)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया कार्यक्त्रम के तहत कमर्शियल और सैन्य एविएशन कंपनी बोईंग अपने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान एफ/ए-18 सुपर होरनेट की निर्माण इकाई भारत में लगाने पर विचार कर रही है। कंपनी ऐसे विमानों के निर्माण के लिए आवश्यक घरेलू आपूर्तिकर्ताओं की बुनियाद भी भारत में खड़ी करना चाहती है ताकि भविष्य में प्रस्तावित इकाई की क्षमता का अन्य उत्पादों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सके। बोईंग की रुचि भारत में यह इकाई किसी रणनीतिक साझीदार के साथ लगाने की है।

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अभी इन विमानों का निर्माण यहां स्थित बोईंग की निर्माण इकाई में हो रहा है जहां हर महीने दो एफ/ए-18 सुपर होरनेट विमानों का निर्माण होता है। फिलहाल इन विमानों का निर्माण अमेरिकी नौसेना के लिए हो रहा है। भारत को लेकर बोईंग काफी उत्साहित है और वह चाहती है कि मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्त्रमों के तहत भारत में कलपुजरें और उपकरणों के साथ साथ विमान निर्माण की इकाई का भी रास्ता खुले।

बोईंग के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि भारत उसकी प्राथमिकता में काफी ऊपर है। इस संबंध में सरकार, सेना और उद्योगों के साथ बातचीत चल रही है। बोईंग भारत में सुपर होरनेट विमानों के निर्माण के साथ साथ पूरा इको सिस्टम विकसित करना चाहता है जो मेक इन इंडिया कार्यक्त्रम के तहत संभव है। इसके लिए केवल आपूर्ति, क्षमता और कौशल विकसित करना आवश्यक है।

यहां आए भारतीय पत्रकारों के एक दल से बातचीत करते हुए एफ/ए-18 सुपर होरनेट कार्यक्त्रम के वाइस प्रेसिडेंट डैन गिलियन ने कहा कि बोईंग अभी भी भारत की चार छोटी बड़ी कंपनियों से इस विमान के लिए कई पार्ट्स खरीद रहा है। इनमें बीईएल और एचएएल जैसी बड़ी कंपनियों के साथ साथ रौसेल और सैस्मोस जैसी छोटी और मध्यम दर्जे की कंपनियां शामिल हैं। रौसेल बोईंग को तारों के बंडलों की आपूर्ति करती है तो सैस्मोस इलेक्टि्रकल पैनल की सप्लाई करती है। एचएएल तारों के बंडल के अलावा सुपर होरनेट यानी एफ/ए-18 में लगने वाले गन बे डोर की आपूर्ति करती है। जबकि बीईएल से बोईंग इलेक्टि्रकल पैनल खरीदती है।

बोईंग का इरादा भारत में यह इकाई संयुक्त उद्यम के तौर पर स्थापित करने का है। इसके लिए बोईंग कई भारतीय कंपनियों में संभावनाएं भी तलाश रही है। लेकिन गिलियन ने कहा कि चूंकि यह मामला दो सरकारों के बीच की बातचीत का हिस्सा है, लिहाजा यह अभी स्पष्ट नहीं है कि हिस्सेदार का चयन सरकार करेगी या बोईंग को यह फैसला लेने का अधिकार होगा। हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा कि यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना है और इसका हिस्सा बनना भारत के लिए एक बड़ा अवसर है।

सुपर होरनेट को दुनिया का सबसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान माना जाता है। दो इंजन वाला यह सुपरसोनिक विमान विमानवाहक पोत से भी उड़ान भरने और उतरने में सक्षम है। जरूरत पड़ने पर इसे टैंकर के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। बोईंग अमेरिकी सरकार के माध्यम से इन विमानों को भारतीय सेना को भी बेचने की कोशिश कर रही है। लेकिन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया भारत में निर्माण इकाई लगाने का फैसला विमानों के खरीद सौदे से किसी प्रकार जुड़ा नहीं है। मेक इन इंडिया के तहत प्रस्तावित इस इकाई के लिए कंपनी वमानों के आर्डर का इंतजार नहीं करेगी। अधिकारी ने कहा कि यह इसी बात से स्पष्ट हो जाता है कि इन विमानों के लिए कुछ पार्ट्स बोईंग ने पहले ही भारतीय कंपनियों से खरीदने शुरू कर दिए हैं।

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