कश्मीरी अलगाववादियों के लिए पाक फंडिंग का सबूत नहीं: बासित
पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने पाक से कश्मीर में होने वाले टेरर फंडिंग के आरोप को सिरे से नकार दिया है।
नई दिल्ली (एएनआई)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के कथित करीबी सहयोगी देविंदर सिंह बहल इस्लामाबाद के संपर्क में थे। जबकि पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने मंगलवार को बताया कि उनके पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं। भारत ने पहले भी बगैर सबूत इस तरह के आरोप लगाए हैं।
एएनआई से बात करते हुए बासित ने कहा, ‘मैंने इस शख्स का नाम कभी नहीं सुना है। पहले हमें यह समझना होगा कि यह नई समस्या नहीं है। पाकिस्तान के स्वतंत्र होने के बाद से ही जम्मू कश्मीर का मामला चल रहा है। जम्मू कश्मीर के लोग अपने अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं।‘ बासित ने आगे बताया, ‘भारत के आरोप नए नहीं है। पहले भी ऐसे आरोप लगाए गए हैं लेकिन साबित नहीं हो सके। मेरा विश्वास है कि इस बार भी ऐसा ही होगा।‘ एनआइए ने सोमवार को नौशेरा में आतंकी फंडिंग मामले में जम्मू कश्मीर सोशल पीस फोरम के चेयरमैन देविंदर सिंह बहल के आवास पर छापेमारी की। एनआइए ने अलगाववादियों के साथ संदिग्ध संपर्क पर बहल से पूछताछ की। एनआइए ने भी बहल के कई आवासों पर छापेमारी की। बहल का हुर्रियत नेताओं के साथ करीबी संपर्क रहा है और वह नियमित तौर पर आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल होते रहे हैं।
तलाशी के दौरान एनआइए टीम ने चार मोबाइल फोन, एक टैबलेट अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के साथ कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं। ,पाकिस्तान के नियंत्रकों से अलगाववादी नेताओं तक फंड पहुंचाने के लिए कुरियर की भूमिका निभाने के संदिग्ध बहल की जांच की जा रही है। गत 24 जुलाई को एनआइए ने सात अलगाववादियों को कश्मीर में टेरर फंडिंग के लिए मनी लांड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया। सभी सात अलगाववादी नेताओं- अल्ताफ शाह, अयाज अकबर, पीर सैफुल्लाह, मेहराज कलवल, शाहिद-उल-इस्लाम, नईम खान और बिट्टा कराटे को 10 दिन के एनआइए हिरासत में भेजा गया।
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