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'भारत नहीं, अफगानिस्तान-पाक थे ओबामा की प्राथमिकता'

गोयल ह्वाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के दक्षिण एशिया मामलों के वरिष्ठ निदेशक रह चुके हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 08:11 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 08:40 PM (IST)
'भारत नहीं, अफगानिस्तान-पाक थे ओबामा की प्राथमिकता'
'भारत नहीं, अफगानिस्तान-पाक थे ओबामा की प्राथमिकता'

वाशिंगटन, प्रेट्र। निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जब सत्ता संभाली थी तो भारत उनकी प्राथमिकताओं में नहीं था। पाकिस्तान और अफगानिस्तान उनकी शीर्ष प्राथमिकता थे। उनके विदा से होने से पहले भारत के साथ अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध ऊंचाई पर है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है। यह कहना है ओबामा प्रशासन में काम कर चुके भारतवंशी अनीश गोयल का।

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गोयल ह्वाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के दक्षिण एशिया मामलों के वरिष्ठ निदेशक रह चुके हैं। ओबामा प्रशासन के पहले दो वर्षो में भारत-अमेरिका संबंधों में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी अवधि में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नवंबर 2009 में अपनी पहली राजकीय यात्रा पर अमेरिका गए और एक साल बाद ओबामा भारत आए। शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक 'न्यू अमेरिका फाउंडेशन' में वरिष्ठ शोधार्थी (दक्षिण एशिया) गोयल ने बताया कि भारत-अमेरिका के संबंधों में बहुत उतार-चढ़ाव रहे हैं। ओबामा के कार्यकाल में इसकी शुरुआत बहुत मजबूत हुई। इसके बाद 2011, 2012 और 2013 के दौरान संबंधों में खटास आ गई थी। उस दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे की खूब आलोचना की। डब्ल्यूटीओ में मुकदमे दर्ज कराए, भारत ने उन कदमों को अवरूद्ध किया जो अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण थे। सबसे बड़ी बात देवयानी खोबरागड़े मामला हुआ जिसने वाकई संबंधों को बिगाड़ दिया था।

गोयल ने बताया कि अब दोनों देशों के संबंध बहुत अच्छी स्थिति में हैं। पिछले दो वर्षो में हुई गतिविधियां बहुत अच्छी रही हैं। इसमें बड़ा योगदान मोदी का है। प्रधानमंत्री बनने के बाद वे संबंधों को ऊंचाई की ओर ले गए। वीजा से इन्कार किए जाने जैसी घटनाओं को किनारे रखकर संबंधों को रास्ते पर लाने के लिए उन्होंने गर्मजोशी दिखाई।

देवयानी घटना से मिली अहम सीख

देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी से भारत-अमेरिका के बीच पैदा हुआ राजनयिक संकट दोनों देशों के बीच संबंधों में 'सबसे कमजोर बिंदु' था। इससे दोनों पक्षों को बेहद अहम सीख मिलीं। यह कहना है कि अमेरिका की सहायक विदेश मंत्री (दक्षिण एवं मध्य एशिया) निशा देसाई बिस्वाल का। उनकी नियुक्ति के कुछ सप्ताह बाद ही यह घटना हुई थी। इससे मिली सीख साझा करते हुए देसाई ने कहा कि रिश्तों में आगे बढ़ने के लिए शालीनता के नाम पर किसी को भी ऐसा करने की मंजूरी नहीं दी जा सकती या उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, जो भारत-अमेरिकी रिश्ते के लिए अहम है।

देवयानी को अमेरिका में 12 दिसंबर 2013 को वीजा धोखाधड़ी और वीजा आवेदन में घरेलू सहायिका के बारे में गलत जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। देवयानी उस समय न्यूयॉर्क में भारत की उप महावाणिज्य दूत थीं। इस घटना से अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक विवाद शुरू हो गया था।

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