तो ऑस्ट्रेलिया की मूंगे की चट्टानें नहीं रहेंगी विश्व विरासत
सयुक्त राष्ट्र की सस्था यूनेस्को के मुताबिक विश्व रासत का दर्जा प्राप्त ऑस्ट्रेलिया के समुद्र मे मौजूद मूगे की चट्टानो के लिए अस्तित्व का सकट पैदा हो गया है। यूनेस्को का कहना है कि अगर इन लाल खूबसूरत चट्टानो का ऐसे ही क्षरण होता रहा तो वह इसे विश्व विरासत की सूची से बाहर निकाल देगी।
सिडनी। संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को के मुताबिक विश्व रासत का दर्जा प्राप्त ऑस्ट्रेलिया के समुद्र में मौजूद मूंगे की चट्टानों के लिए अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है। यूनेस्को का कहना है कि अगर इन लाल खूबसूरत चट्टानों का ऐसे ही क्षरण होता रहा तो वह इसे विश्व विरासत की सूची से बाहर निकाल देगी।
यूनेस्को की विश्व विरासत कमेटी के अनुसार ग्रैट बैरियर रीफ के नाम से मशहूर इन विश्व प्रसिद्ध चट्टानों को ऑस्ट्रेलिया में बेहिसाब खनन के चलते भारी क्षति पहुंच रही है। एशिया से आई निवेश की मांगों के चलते इन समुद्री इलाकों में गैस और अन्य क्षेत्रों में खनन कार्य के लिए अंधाधुंध खुदाई चल रही है। ऑस्ट्रेलिया के पास इस समय 435 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के सौदे हैं। इसलिए ऑस्ट्रेलिया सरकार विदेशी मुद्रा कमाने के लिए अपने प्राकृतिक संसाधनों का बेहिसाब तरीके से दोहन कर रही है। हालांकि विश्व में मूंगे के इस सबसे बड़े भंडार को फिलहाल खतरे की सूची में नहीं डाला गया है। लेकिन यूनेस्को का कहना है कि तरल प्राकृतिक गैस [एलएनजी] समेत पर्यटन और खनन परियोजनाओं के लिए इन इलाकों में वृहद स्तर पर खुदाई हो रही है। इससे आने वाले समय में मूंगे की चट्टानों को बहुत नुकसान होगा। इससे मूंगे की चट्टानों की संख्या और गुणवत्ता में भारी कमी हो जाएगी। इन परियोजनाओं के चलते पानी की गुणवत्ता का स्तर भी गिरेगा और पर्यावरण में भी बदलाव होगा। इसलिए यहां विकास कार्य और अन्य किस्म के दबाव सीमित किए जाने चाहिए ताकि मूंगे की बढ़ोतरी हो। कमेटी का कहना है कि अगर जल्द ही यहां की कुछ बड़ी परियोजनाओं को बंद नहीं किया गया तो आठ महीने के बाद वह इस विषय में कुछ कड़े कदम उठाएंगे।
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