कोलोन घटना के बाद चांसलर एंजेला मर्केल ने कानून बदलने पर दिया जोर
नये साल की पूर्व संध्या पर पर मनाए जा रहे जश्न के बीच जिस तरह वहां पर शरणार्थियों ने महिलाओं के साथ हिंसा की और जमकर उत्पात मचाया, इस घटना ने जर्मनी में काफी आलोचना हुई।
बर्लिन। नये साल की पूर्व संध्या पर पर मनाए जा रहे जश्न के बीच जिस तरह वहां पर शरणार्थियों ने महिलाओं के साथ हिंसा की और जमकर उत्पात मचाया, इस घटना ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल का शर्णार्थियों को लेकर उनके उदारवादी नजरिए को छोड़ उस पर सख्त होने के मजबूर कर दिया है।
शर्णार्थियों को लेकर अब तक अपना नरम रुख दिखानेवाली चांसलर एंजेला मर्केल ने पूरी तरह से यू-टर्न लेते हुए इसके खिलाफ कानून को कड़े करने के पर जोर दिया है। पिछले साल करीब 1.1 बिलियन शर्णार्थियों ने जर्मनी की ओर रुख किया था।
शनिवार को एंजेला मर्केल ने कहा कि अगर कानून पर्याप्त नहीं है तो उस कानून को परिवर्तन कर देना चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी को जेल की सजा होती है तो उसे देश से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।
एंजेला मर्के की पार्टी सीडीयू के उपाध्यक्ष वोल्कर बोउफियर ने कहा कि कोलोन की घटना ने सबकुछ बदलकर रख दिया है और अब लोग शक कर रहे हैं।
हालांकि, इस घटना में अब तक किसी की ना तो गिरफ्तारी हुई है और ना ही किसी की पहचान की गई है। कोलोन की पुलिस का कहना है कि कोलोन में एक हफ्ते पहले शहर के रेलवे स्टेशन के पास हुई इस घटना में शामिल अधिकतर लोग शर्णार्थी ही थे जो अवैध तरीके से उत्तरी अमेरिका से यहां पर आए हैं।
इस मामले में करीब 379 केस पहले ही दर्ज किए जा चुक हैं जिसमें करीब चालीस फीसदी केस महिलाओं के यौन शोषण से जुड़ा हुआ है। जबकि, हेमबर्ग में भी पुलिस ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा को लेकर 133 केस दर्ज किया है।
जस्टिस मिनिस्टर हेको मास का कहना है कि वो ऐसा मानते हैं कि कोलोन में हुई हिंसा पहले से ही तय कर ली गई थी।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से खास दिन इतनी बड़ी तादा में ये लोग एकजुट हुए और इस इस तरह के अपराध को अंजाम दिया है ये जरुर पहले से ही तय होगा।
हेको ने कहा कि ये कोई नहीं कह सकता है कि ये घटना एक सोची समझी रणनीति के तहत नहीं की गई है। इसे पूरी तरह योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है।
पिछले साल हर रोज हजारों शर्णार्थियों के जर्मनी में पहुंचने के चलते एंजेला मर्केल की ओपन डोर पॉलिसी पर रोक के लिए वे अपने गठबंधन से पहले ही भारी दबाव में थी।
आलोचक लगातार वहां पर भारी तादाद में सीरिया, इराक और अफगानिस्तान से पहुंच रहे शर्णार्थियों को लेकर जर्मनी की क्षमता पर सवाल उठा रहे थे।
एंजेला मर्केल अब से पहले कभी भी शर्णार्थियों को लेकर ऐसा सख्ती का रुख नहीं दिखाया था। यहां तक की उन्होंने अपने नए साल के भाषण में भी कहा था कि भारी तादाद में शर्णार्थियों का यहां पर पहुंचना ये आनेवाले कल के लिए एक सुनहरा अवसर है।