पता है सईद का ठिकाना..अब सबूत का इंतजार
अमेरिका ने बुधवार को कहा कि लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफीज सईद पर एक करोड़ डालर के ईनाम की घोषणा करने का मकसद उसके ठिकाने के बारे में पता लगाना नहीं बल्कि मुम्बई आतंकी हमला मामले के कथित साजिशकर्ता को न्याय के कटघरे में खड़ा करना है ताकि वह दोषी करार दिया जा सके।
वाशिगटन। अमेरिका ने बुधवार को कहा कि लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफीज सईद पर एक करोड़ डालर के ईनाम की घोषणा करने का मकसद उसके ठिकाने के बारे में पता लगाना नहीं बल्कि मुम्बई आतंकी हमला मामले के कथित साजिशकर्ता को न्याय के कटघरे में खड़ा करना है ताकि वह दोषी करार दिया जा सके।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि वह कहा है और पाकिस्तान और इलाके के सभी पत्रकार जानते हैं कि उसे किस प्रकार से ढूंढना है। लेकिन हम ऐसे सबूत जुटाना चाहते हैं ताकि अदालत में उसे दोषी ठहराया जा सके। उन्होंने कहा कि उसे अमेरिका या किसी देश के कानून के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने अमेरिका से जमात-उद-दावा के चरमपंथियों हाफिज मोहम्मद सईद और अब्दुल रहमान मक्की के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए ठोस सबूत मुहैया कराने को कहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल बासित ने सईद और मक्की पर अमेरिका की ओर से ईनाम घोषित किए जाने से जुड़े सवाल के जवाब में कहा, 'इस मुद्दे पर सार्वजनिक बहस करने की बजाय पाकिस्तान कानूनी कार्रवाई के लिए ठोस सबूत चाहता है।'
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जैसे लोकतात्रिक देश में किसी के खिलाफ ऐसे सबूत होने चाहिए कि न्यायपालिका पर उस पर गौर कर सके। इस पर आगे उन्होंने कोई ज्यादा विवरण नहीं दिया।
अमेरिका ने सईद पर एक करोड़ डालर और मक्की पर 20 लाख डालर के ईनाम का एलान किया है। सईद और मक्की रिश्तेदार हैं।
उधर, सईद ने कहा है कि वह छिपा नहीं है, बल्कि पाकिस्तान में मौजूद है। उसने अमेरिका पर भारत के सामने झुकने और उसकी जुबान बोलने का आरोप लगाया है।
सईद ने अमेरिका को ललकारते हुए कहा कि वह ऐबटाबाद की तर्ज पर उसके खिलाफ कार्रवाई करके दिखाए। अमेरिका ने बीते साल ऐबटाबाद में अलकायदा सरगगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था। रावलपिंडी स्थित फ्लैशमैन होटल में सईद ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान अमेरिका को यह चुनौती दी। यह होटल सेना मुख्यालय से कुछ दूरी पर ही स्थित है। संवाददाता सम्मेलन में 'दफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल' [डीपीसी] के कई अन्य नेता भी मौजूद थे। इस समूह में कई चरमपंथी संगठन शामिल हैं।
अमेरिका की ओर से एक करोड़ डॉलर का ईनाम घोषित किए जाने के बाद सईद का यह पहला संवाददाता सम्मेलन था।
सईद ने कहा, 'मैं गुफाओं और पहाड़ियों में नहीं छिपा हूं। मैं रावलपिंडी में मौजूद हूं।'
सईद ने दावा किया कि जमात-उद-दावा एवं उसके सदस्यों का 2008 में हुए मुंबई हमले से कोई लेना-देना नहीं है और इस मामले में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उसने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि आतंकवाद में वह शामिल है।
पाकिस्तानी मूल के इस आतंकवादी ने कहा, 'जमात एक नेक संगठन है, जो पूरे पाकिस्तान में काम कर रहा है। इस पर कोई पाबंदी नहीं है।' उसने कहा, 'यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका पाकिस्तानी अदालतों को स्वीकार नहीं करता। वह पाकिस्तान को भी स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। अमेरिका अब भारत के सामने झुक गया है और उसकी जुबान भी बोल रहा है।'
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