BPSC Exam: जाने दीजिए मम्मी को सर, हम लोग काफी दूर से पैदल आए हैं, अफसरों ने भी माना महिला के जुनून का लोहा
BPSC 67th Prelims शुक्रवार को बीपीएससी 67वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता पुनर्परीक्षा का आयोजन किया गया था। शेखपुरा के एक सेंटर पर एक महिला अपने तीन बच्चों और पति के साथ देर से पहुंची। दरवाजा बंद हो चुका था। बच्चों की गुहार और महिला का जुनून देख अधिकारी भी पिघल गए।
अरुण साथी, शेखपुरा। नवरात्रि को शक्ति की उपासना का अनुष्ठान माना जाता है। ऐसी ही एक नारी रूपी शक्ति बीपीएससी परीक्षा में अपने हौसले के साथ पहुंची। अपने पति और तीन बच्चों के साथ समता कुमारी शेखपुरा नगर के संजय गांधी महिला महा विद्यालय के परीक्षा केंद्र पर समय से 5 मिनट विलंब से पहुंची। 11 बजे मुख्य दरवाजा लग गया था । समता कुमारी अपने बच्चों और पति के साथ दरवाजा पीटने लगी। समता के बच्चे गुहार लगाने लगे। कालेज का एक कर्मी जब दरवाजा खोलने आया तो बच्चों ने कहा जाने दीजिए मम्मी को सर, हम लोग पैदल चलकर परीक्षा देने आए हैं।
दो किलोमीटर पैदल चलकर पहुंची परीक्षा केन्द
दरअसल, समता केन्द्र से लगभग दो किलोमीटर दूर रहती है। नगर के बंगालीपर मोहल्ला निवासी सतेंद्र कुमार की वह पत्नी है। सत्येंद्र आर्थिक रूप से काफी कमजोर है पर पत्नी को पढ़ाने में जरा भी कमी नहीं करते। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं । पत्नी भी ट्यूशन पढ़ाने में पूरी तरह सहयोग करती है। वहीं माता सरस्वती की आराधना की लगन सत्येंद्र और उनकी पत्नी में कूट-कूट कर भरा हुआ है।समता प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही है। एक बार पहले भी बीपीएससी की परीक्षा दे चुकी है। वहीं इस बार बिहार सरकार के द्वारा अति पिछड़ा वर्ग के लिए शहर के रामाधीन कॉलेज में संचालित सरकारी कोचिंग की व्यवस्था में बीपीएससी की तैयारी भी की है ।
ट्यूशन पढ़ाकर खर्च के लिए पैसे जुटाती है समता
सत्येंद्र बताते हैं कि समता 10 वर्ष का शुभम, 7 वर्ष का शिवम और 4 वर्ष की सुष्मिता की मां है परंतु वह कभी हिम्मत नहीं हारती। खगड़िया कालेज से स्नातकोत्तर (पीजी) की पढ़ाई भी समता कर रही है। साथ ही साथ घर खर्च के लिए ट्यूशन भी पढ़ाती है। स्वाध्याय कर प्रतियोगिता की तैयारी भी करती है । वे लोग पैदल परीक्षा केंद्र पर पहुंचे। इसमें विलंब हो गया। वहीं बच्चों की गुहार सुनकर समता को परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने दे दिया गया।