Uttarakhand: दिल्ली से 500 KM दूर है उत्तराखंड का ये हिल स्टेशन, जन्नत सी खूबसूरती के साथ इतिहास से है कनेक्शन
Uttarakhand आपको उत्तराखंड की उन जगहों को एक्सप्लोर करने की जरूरत है जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। वैसे पहाड़ अपने हिडन प्लेस के लिए जाने जाते हैं। इसी में से एक जगह है उत्तराखंड की खूबसूरत हर्षिल वैली। इसे देखकर आपको स्विट्जरलैंड की याद जरूर आ जाएगी।
उत्तरकाशी, जागरण डिजिटल डेस्क। Know About Harsil Valley: इस भागदौड़ भरी जिंदगी में इंसान कुछ समय अपने लिए निकालना चाहता है। कुछ समय ऐसा जहां प्रकृति हो, शांति हो और सुकून के पल हों। आपने उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में कुछ समय बिताने के लिए एक ट्रिप तो की ही होगी। वैसे तो लोग ऋषिकेश हरिद्वार, नैनीताल, और मसूरी का नाम तो अक्सर सुनते हैं, लेकिन सच मानिए थे ये जगहें आउट डेटेड हो चुकी हैं।
हमने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि यहां पर आपको अब बहुत भीड़ मिलेगी। सभी की जानकारी में होने की वजह से लोग अक्सर यहीं जाते हैं, लेकिन अगर आप अपना थोड़ा सा समय सुकून और चैन से बिताना चाहते हैं तो, उत्तराखंड की उन जगहों को एक्सप्लोर करें जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। वैसे पहाड़ अपने हिडन प्लेस के लिए जाने जाते हैं। इसी में से एक जगह है उत्तराखंड की खूबसूरत हर्षिल वैली।
उत्तराखंड के इस हिडन प्लेस के बारे में शायद कोई जनता हो या फिर यहां कोई घूमने के लिए पहुंचा भी हो। जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के एक छोटे से हिल स्टेशन यानी 'हर्षिल' के बारे में। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित 'हर्षिल वैली' की खूबसूरती आपको दीवाना बना देगी। देहरादून से लगभग 200 किलोमीटर स्थित इस हिल स्टेशन में कई सारी खूबसूरत जगहें हैं जिसे आप एक्सप्लोर कर सकते हैं। तो आईए जानते हैं इस पहाड़ की खूबसूरती के बारे में।
भागीरथी के किनारे बसा हिल स्टेशन
हर्षिल भारत के उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यह हिमालय में भागीरथी नदी के किनारे बसा एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 34 पर गंगोत्री के हिन्दू तीर्थ स्थल के मार्ग में आता है। 'हर्षिल' उत्तरकाशी से 78 किमी और गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान से 30 किमी दूर है।
इन जगहों के लिए जाना जाता है हर्षिल
अगर आप हर्षिल वैली घूमने गए हैं तो आप इसकी खूबसूरती को जरूर एक्सप्लोर करेंगे। हम यहां आपको उन जगहों के बारे में बताएंगे जहां आप घूम सकते हैं।
1- गरतांग गली- यह एक लकड़ी का पुल है, जिसका हमारे इतिहास से कनेक्शन है। पहाड़ों की चट्टानों के बीच बना ये वुडेन पुल 150 साल पुराना है। दरअसल इस पुल का इस्तेमाल भारत और तिब्बत के बीच व्यापार के लिए किया जाता था। 11 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी गरतांग गली की सीढ़ियां इंजीनियरिंग का नायाब नमूना हैं। इस ऐतिहासिक पुल को बनाने का तरीका पर्यटकों को आश्चर्यचकित कर देता है।
2- लामा टॉप- अगर आपको सनराइज देखना पसंद है तो आप इस जगह को मिस न करें। हर्षिल वैली घूमने वालों के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। इस सनराइज प्वाइंट से पूरी हर्षिल वैली नजर आती है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको पहाड़ी चढ़नी पड़ेगी। रात में आप ये चढ़ाई पूरी कर सकते हैं या फिर सुबह जल्दी उठ कर ये ट्रैक कर सकते हैं। लामा टॉप का ट्रैक हर्षिल से शुरू होता है। ये ट्रेक मात्र दो किलोमीटर का है लेकिन पहाड़ की चढ़ाई और संकरे रास्ते इसे कठिन बनाते हैं। ऊपर पहुंच कर आप सुबह की पहली किरण के साथ पूरे हर्षिल वैली को देख सकते हैं।
3- लोकल विलेज- अगर आप होटल की चकाचौंध से निकल कर गांव को एक्सप्लोर कर पाएं तो हर्षिल के दो लोकल गांव हैं जिसे आप एक्सप्लोर कर सकते हैं। धराली और मुखवास हर्षिल के दो विलेज हैं, जहां पर आप पहाड़ी जिंदगी का आनंद ले सकते हैं। यहां आपको होम स्टे मिल जाएंगे। आप यहां लोकल पहाड़ी फूड का आनंद भी उठा सकते हैं।
4- गंगोत्री धाम- उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री धाम का ये मंदिर मां गंगा को समर्पित है। ये हर्षिल से सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है। नदी के किनारा बना ये मंदिर जिनता पवित्र है उतना ही खूबसूरत भी है।
श्रद्धालुओं के लिए यह एक पवित्र स्थल है।
कैसे पहुंचें हर्षिल
अगर इस खबर को पढ़कर आपका मन भी उत्तरकाशी के इस हिडन प्लेस पर जाने का कर रहा है तो, यहां पहुंचने के सभी रास्ते भी हम आपको बता देते हैं।
- हवाई मार्ग की बात करें तो आपको निकटतम जॉली ग्रांट हवाई अड्डा पहुंचना होगा। यहां से आप लोकल टैक्सी लेकर जा सकते हैं।
- ट्रेन से आप ऋषिकेश रेलवे स्टेशन जाकर लोकल बस या टैक्सी से भी हर्षिल जा सकते हैं।
- अगर आप बस से जाने का मन बना रहे हैं तो पहले आपको देहरादून या ऋषिकेश पहुंचना होगा.. यहां से आपको उत्तरकाशी के लिए बस और टैक्सी आराम से मिल जाएगी। इसके बाद हर्षिल वैली के लिए आप टैक्सी ले सकते हैं। ऋषिकेश से गंगोत्री के लिए डायरेक्ट बसें भी चलती हैं, तो आप गंगोत्री जाकर वहां से हर्षिल वैली जा सकते हैं।
- अगर आप अपने दोस्तों या फिर परिवार वालों के साथ जा रहे हैं और आप चार या पांच लोगों के ग्रुप में ट्रैवल कर रहे हैं तो आप ऋषिकेश या फिर देहरादून से कैब भी कर सकते हैं। ये आपके बजट में पड़ेगा।
हर्षिल जाने का सही समय
वैसे तो उत्तरकाशी के इस खूबसूरत हिल स्टेशन की सैर आप किसी भी महीने में कर सकते हैं, लेकिन बरसात के मौसम में यहां जाना रिस्की हो सकता है। बरसात के मौसम में पहाड़ों पर यात्रा करना थोड़ा खतरनाक है, इसलिए बरसात के मौसम में आप यहां न जाएं तो बेहतर है।
अगर आपको हर्षिल में बर्फ देखनी हो तो यहां पर ठंडियों में जाने का प्लान आप बना सकते हैं। अक्टूबर के आखिरी में यहां बर्फ पड़नी शुरू हो जाती है। अक्टूबर से लेकर फरवरी तक के महीने में आप हर्षिल वैली जाने का मन बनाते हैं तो प्रकृति की खूबसूरती के साथ-साथ आप बर्फबारी और बर्फ का भी आनंद ले सकते हैं। हर्षिल को उत्तराखंड का स्विट्जरलैंड भी कहते हैं। बर्फबारी के बाद इसकी खूबसूरती आपको स्विट्जरलैंड की याद दिला देगी।
आखिरी में बस एक अपील
आखिरी में एक अपील ये भी है कि हर्षिल की खूबसूरती को बनाए रखने का जिम्मा हमारा और आपका है। इस देश के नागरिक होने के नाते ये हमारा कर्तव्य है कि अपने देश की सुंदरता को हम बनाए रखें और एक इंसान होने के नाते अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं। इन वादियों में तो आप जा रहे हैं, इनकी खूबसूरत जगहों को देखने, लेकिन यहां जिम्मेदार भी बनना होगा। यहां की सुंदरता को सहेज के रखना होगा। कहीं भी जाएं बस कूड़ा न फैलाएं। वहां के स्थानीय जीवन का सम्मान करें।