दार्जिलिंग में दफन था अमेरिकी सैन्य अधिकारी पिकेट का शरीर, 58 साल बाद अवशेषों को निकालकर भेजा गया स्वदेश
मेजर जनरल हैरी क्लेनबेक पिकेट 1965 में दार्जिलिंग दौरे पर गए थे जहां उनका आकस्मिक निधन हो गया था। उन्हें वहीं एक कब्रिस्तान में दफना दिया गया था। उनके परिवार ने अमेरिकी सरकार से उनके अवशेषों को वापस लाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल रहे अमेरिकी सेना के प्रमुख अधिकारियों में से एक मेजर जनरल हैरी क्लेनबेक पिकेट के अवशेषों को 58 साल बाद बंगाल के पर्वतीय शहर दार्जिलिंग में स्थित उनकी कब्र से निकालकर उनके देश भेजा गया है। वहां इसे अर्लिंग्टन नेशनल सिमेंटरी में दफनाया जाएगा। कोलकाता में अमेरिकी कौंसल जनरल मेलिंडा पावेक ने इसकी जानकारी दी।
1965 में दार्जिलिंग दौरे पर गए थे पिकेट
पावेक ने बताया कि मेजर जनरल हैरी क्लेनबेक पिकेट 1965 में दार्जिलिंग दौरे पर गए थे, जहां उनका आकस्मिक निधन हो गया था। उन्हें वहीं एक कब्रिस्तान में दफना दिया गया था। उनके परिवार ने अमेरिकी सरकार से उनके अवशेषों को वापस लाने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था। इसके बाद अमेरिका ने भारत सरकार से संपर्क किया। भारत ने इस पर सहमति जताई थी। बंगाल सरकार के सहयोग से अवशेषों को मार्च में निकाला गया। इसके बाद लगभग दो महीने तक विभिन्न प्रक्रियाएं व औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसे अमेरिका भेज दिया गया है।
प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
बता दें कि पिकेट ने प्रथम व द्वितीय विश्व युद्ध सहित अन्य युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह 1913 में यूएस मरीन कार्प्स में भर्ती हुए थे। मेलडा पावेक ने कहा, 'भारत सरकार के समर्थन के बिना यह संभव नहीं था। सरकारी लोक सेवक के रूप में हमारी पहली प्राथमिकता अमेरिकी नागरिकों की रक्षा सुनिश्चित करने व उनका समर्थन करने की है। हम अपनी टीम की तरफ से भारत और बंगाल सरकार की सहायता और समर्थन के लिए आभारी हैं।' उन्होंने बंगाल के गृह सचिव बीपी गोपालिका को भी धन्यवाद दिया।