Bihar: अनुराग पोद्दार हत्याकांड के दो साल, नहीं हुई गिरफ्तारी, न ही खुला मुंगेर हिंसा का राज
Bihar दो साल पहले मुंगेर में दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन के दौरान जो कुछ हुआ उसने देशभर में सुर्खियां बटोरनी शुरू कर दिया। अनुराग पोद्दार के शव के साथ उसकी मां की चित्कारों की गूंज सबने सुनी। इस मामले के कई राज आज भी राज ही हैं।
जागरण टीम, मुंगेर: दुर्गा पूजा आते ही अनसुलझा अनुराग पोद्दार की हत्याकांड चर्चा में आ जाता है। 26 अक्टूबर 2020 को मुंगेर में हुई हिंसा के दो साल बाद अब तक अनुराग के हत्यारों की पकड़ नहीं हो सकी है। उसे किसने गोली मारी? ये राज आज भी दफ्न है। कई सवाल हैं, जो अनुराग की हत्या के बाद से अबतक छिपे हुए हैं। मामले में कई बार पुलिस अधिकारी बदले गए। सीआईडी टीम ने रिक्रिएशन किया लेकिन कोई ठोस नित्कर्ष नहीं निकल सका।
हालांकि, सीआईडी की विशेष जांच टीम ने 15 महीने में जांच कर 12 जुलाई 2022 को अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट फाइल की। हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई थी। हाईकोर्ट की निगरानी में सीआईडी की विशेष जांच टीम ने हाईकोर्ट में अपनी अंतिम रिपोर्ट दी। इस दौरान हाईकोर्ट ने जांच के प्रति कई बार नारजगी व्यक्त भी व्यक्त की।
हाईकोर्ट के जज राजीव रंजन प्रसाद के न्यायालय में श्रद्धालु अनुराग पोद्दार के हत्या का मामला लंबित है, जिसमें अगली सुनवाई 12 अक्टूबर 2022 को निर्धारित है। इस मामले में हाईकोर्ट ने बीते 19 जुलाई को रेगुलर सुनवाई का आदेश दिया था। लेकिन 20 जुलाई को सुनवाई नहीं हुई। फिर 23 जुलाई से दो दिन रेगुलर सुनवाई हुई। कोर्ट की व्यस्तता के कारण रेगुलर सुनवाई स्थागित हो गई। 3 अगस्त को सुनवाई में मदद करने के लिए हाईकोर्ट ने अधिवक्ता प्रतीक मिश्रा को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया। वहीं, पिछली सुनवाई में 21 सितंबर को एमिकस क्यूरी कोर्ट में अनुपस्थित रहे।
अधिवक्ता सह आरटीआई एक्टिविस्ट ओम प्रकाश पोद्दार कहते हैं, 'दो वर्ष बीत जाने के बाद नामजद पुलिस पदाधिकारी पर कार्रवाई न होना दुखद है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी तक नहीं की गई।'
मामले पर एक नजर
दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन करने निकले श्रद्धालुओं के जत्थे में हिंसा हुई। गोलीबारी की गई। आरोप लगा कि पुलिस ने इस जत्थे में फायरिंग की, जिसमें अनुराग पोद्दार की मौत हो गई। वहीं अन्य कई श्रद्धालु घायल भी हुए। हालांकि, पुलिस का कहना था कि असामाजिक तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया। बता दें कि 6 अक्टूबर 2020 को हुई इस घटना के दो दिन बाद मुंगेर में विस चुनाव होना था। इसके चलते मामला तेजी के साथ सुर्खियां बटोरने लगा।
तत्कालीन विपक्ष राजद ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया भी दर्ज कराई थी। सीएम नीतीश कुमार के खासम खास आरसीपी सिंह की बेटी आईपीएस लिपि सिंह उन दिनों मुंगेर की एसपी थी। लिहाजा, मामला और भी हाइलाइट होता चला गया। मामले में मृतक के स्वजनों की करुण चित्कार लगाती कई तस्वीरें वायरल हुई। न्याय की मांग उठी तो एसपी का ट्रांसफर कर दिया गया। लेकिन नामजद में एक की भी गिरफ्तारी नहीं की गई।
चुनाव आयोग ने की कार्रवाई
चुनाव आयोग ने तत्कालीन डीएम और एसपी दोनों पर कार्यवाही की लेकिन बाद में एसपी लिपी सिंह को सहरसा भेज दिया गया। अभी वे सहरसा की एसपी हैं। यहां ये भी बता दें कि पुलिस पर पक्षपात पूर्ण जांच के आरोप भी लगे। मामले पर सीआईडी की जांच रिपोर्ट पर साक्ष्य नष्ट करने और पक्षपात करने के आरोपों के बीच मुंगेर के तत्कालीन एसपी मानवजीत सिहं ढिल्लो, थानाध्यक्ष एवं कई पुलिस पदाधिकारियों को हाईकोर्ट के आदेश पर मुंगेर से स्थानांतरण किया गया था। लेकिन उनके विरुद्ध कार्रवाई नहीं हुई।
पूर्व में हाईकोर्ट ने प्रगति जांच रिपोर्ट पर व्यक्त की नाराजगी
पिछले सुनवाई तिथि 6 जूलाई को सीआईडी के द्धारा दी गई प्रगति जांच रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि सीआईडी के प्रगति जांच रिपोर्ट में अब तक आपत्ति का निपटारा नहीं हुआ, न ही जांच रिपोर्ट पारदर्शी है। ऐसा प्रतीत होता है कि जांच टीम दबाव में काम कर रही है। गौरतलब हो कि पूर्व में मृतक के पिता अमरनाथ पोद्दार एवं अधिवक्ता ओम प्रकाश पोद्दार ने भी सीआईडी टीम पर पक्षपात पूर्ण जांच करने व गवाहों का परेशान करने का आरोप लगा चुके थे।