Odisha Train Tragedy: दिमाग से नहीं हट रहीं दर्दनाक तस्वीरें, बचावकर्मियों की काउंसिलिंग के लिए टीम रवाना
ओडिशा हादसे के बचावकर्मियों की काउंसिलिंग के लिए एससीबी इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ की चार सदस्यीय टीम बालेश्वर गई है। ये इन्हें सामान्य स्थिति में वापस आने और दिमाग में छपी बुरी यादों की तस्वीरों से बाहर निकालेंगे।
जासं, कटक। बाहानगा रेल हादसे के पीड़ितों को बचाने में जुटी टीम के कई सदस्य अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। ऐसे में एनडीआरएफ, ओडीआरएएफ और अन्य जवानों की मानसिक स्थिति और मनोबल को मजबूत करने के लिए एससीबी इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ की चार सदस्यीय टीम बालेश्वर गई है।
बुरी यादों से निकलने के लिए दिए जाएंगे सुझाव
इस टीम के सदस्य बालेश्वर पहुंचने के बाद बचाव दल को विभिन्न सुझाव देने के साथ ही उनकी काउंसिलिंग कर रहे हैं। एससीबी से बालेश्वर पहुंची टीम ने बचाव दल के सदस्यों को योग करने, ध्यान करने, संतुलित आहार लेने की सलाह दी है।
इसके साथ ही वे कैसे सामान्य स्थिति में वापस आएंगे और खुद को इतनी बड़ी दुर्घटना से बाहर निकालेंगे और फिर से अपना काम जारी रखेंगे इस पर कई तरह के सुझाव देने का काम टीम के सदस्य कर रहे हैं।
एससीबी इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ के निदेशक प्रोफेसर डा. अजय मिश्रा ने कहा कि यह प्रक्रिया अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा।
काउंसिलिंग की मदद से मनोस्थिति को किया जाएगा ठीक
बचावकर्मियों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर लोगों को बचाने का काम किया, लेकिन इस घटना का उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है।
एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने कहा कि मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला।
एक कर्मी ने मुझे बताया कि वह जब भी पानी देखता है, तो उसे वह खून की तरह लगता है। एक अन्य बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगनी बंद हो गई है।
2 जून की वह भयावह शाम
गौरतलब है कि यह भयावह हादसा बीते शुक्रवार यानि कि 2 जून को ओडिशा के बालासोर के पास बाहानगा स्टेशन के पास हुआ। इसमें तीन ट्रेनें शामिल थीं। एक मालगाड़ी, जो कि लूप लाइन में खड़ी थी और दो सुपर फास्ट एक्सप्रेस ट्रेनें- शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल सुपर फास्ट एक्सप्रेस और सर एम. विश्वेश्वरैया टर्मिनल-हावड़ा सुपर फास्ट एक्सप्रेस, जिनके कुल 17 डिब्बे पटरी से उतर गए।
इस दौरान सबसे पहले कोरोमंंडल मालगाड़ी से जा टकराई, जिससे ट्रेन के 12 डिब्बे पटरी से उतर गए और कुछ बगल के ट्रैक पर चले गए, जिस पर बेंगलुरु से चली यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस गुजर रही थी। इन डिब्बों से यह ट्रेन जा टकराई और भीषण हादसा हो गया। इस दुर्घटना में 275 लोगों की मौत हुई है और हजारों की तादाद में लोग घायल हुए हैं।