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Amrit Festival of Freedom : तिरंगे की तुरपन से बुना जिंदगी का ताना-बाना, महिलाओं ने कुछ दिनों में कमाए हजारों रुपये

Amrit Festival of Freedom पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्‍सव मनाया जा रहा है। इसके तहत हर घर तिरंगा अभियान चलाया गया। इसी कड़ी में राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं के लिए रोजगार का सबसे बड़ा साधन बना है।

By Anil KushwahaEdited By: Published: Thu, 18 Aug 2022 12:13 PM (IST)Updated: Thu, 18 Aug 2022 12:18 PM (IST)
Amrit Festival of Freedom : तिरंगे की तुरपन से बुना जिंदगी का ताना-बाना, महिलाओं ने कुछ दिनों में कमाए हजारों रुपये
हर घर तिरंगा कार्यक्रम एनआरएलएम से जुड़ी महिलाओं के लिए रोजगार का सबसे बड़ा साधन बना है।

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । Amrit Festival of Freedom : आजादी के अमृत महोत्सव के तहत केंद्र सरकार का हर घर तिरंगा कार्यक्रम National Rural Livelihood Mission (एनआरएलएम) से जुड़ी महिलाओं के लिए biggest source of employment बना है। जिले में कुल 125 समूहों की 650 महिलाओं ने करीब 4.60 लाख झंडे तैयार किए। 21 रुपये प्रति झंडे के हिसाब से विभिन्न विभागों द्वारा 96 लाख का भुगतान इन समूहों के खाते में किया गया। ऐसे में 15 से 20 दिन के काम में ही एक महिला ने औसतन 14 से 15 हजार की आय कर ली है।

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हर घर तिरंगा को लेकर हर ओर उत्‍साह : यह देश भक्ति का जोश, जज्बा और जुनून ही है कि nectar festival of freedom के तहत हर घर तिरंगा को लेकर हर ओर उत्साह था। 11 अगस्त से ही लोगों ने अपने घर, दुकान व प्रतिष्ठानों पर झंडे लगाने की शुरुआत कर दी थी। 13 से 15 अगस्त तक तो शायद ही कोई स्थान झंडों से वंचित रहा हो। प्रशासनिक रिकार्ड के मुताबिक जिले में करीब साढ़े आठ लाख स्थानों पर ध्वजारोहण हुआ। इस कार्यक्रम में एनआरएलएम के महिला समूहों ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई।

15 से 20 दिन किया काम : जून के अंतिम सप्ताह में महिला समूहों को झंडे बनाने का आदेश मिला था। इसके बाद जुलाई के पहले सप्ताह में धनीपुर स्थित आरसेटी में समूहों को झंडे की सिलाई का प्रशिक्षण दिया गया। फिर महिलाओं ने झंडे बनाने की शुरुआत की। अधिकतर महिलाओं को 15 से 20 दिन ही काम करने का मौका मिला है। घर का काम निपटाने के बाद दो से तीन घंटे झंडे तैयार करने में लगाती थीं। एक झंडे पर सात से आठ रुपये का खर्च आया है।

खाते में पहुंची धनराशि : यह कार्यक्रम इन महिलाओं के लिए रोजगार का सबसे बड़ा साधन बना है। डीएम इंद्र विक्रम सिंह व सीडीओ अंकित खंडेलवाल के निर्देश पर सभी विभागों ने झंडों के लिए महिला समूहों का एडवांस में ही भुगतान किया था। जिले में कुल 4.60 लाख झंडों के लिए 96 लाख रुपये की धनराशि खाते में भेजी गई है। 650 महिलाएं इस काम में लगी थीं। ऐसे में औसतन एक महिला को 14 से 15 हजार तक मिले हैं। कई महिला समूहों ने 15 से 20 हजार तक झंडे बनाए हैं।

इनका कहना है 

हर घर तिरंगा कार्यक्रम महिला समूहों के लिए अब तक सबसे अधिक फायदेमंद रहा है। घर बैठे ही दिन में दो से तीन घंटे काम करके एक महिला ने 10 से 15 दिनों में ही 14 से 15 हजार रुपये की आय कर ली है।

- प्रतिमा शर्मा, राघव स्वयं सहायता समूह, बौनेर

जिले में कुल साढ़े आठ लाख झंडों के ध्वजारोहण का लक्ष्य मिला था। इनमें से 4.60 लाख झंडे महिला समूहों के माध्यम से तैयार किए गए है। जिले में बड़ी संख्या में महिलाओं को इस काम से रोजगार मिला।

- अंकित खंडेलवाल, मुख्य विकास अधिकारी


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