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Swachh Survekshan 2022: जालंधर की स्वच्छता रैंकिंग में आंशिक सुधार, कूड़ा प्रबंधन बना बड़ी चुनाैती

Swachh Survekshan 2022 शहर की रैंकिंग में आंशिक सुधार हुआ है। अभी भी मुश्किलें बेशुमार हैं। रैंकिंग का सारा खेल कूड़ा प्रबंधन पर टिका है और इस मामले में जालंधर वेस्ट प्रोसेसिंग शुरू करने के आसपास ही घूम रहा है।

By Manoj TripathiEdited By: Published: Sat, 01 Oct 2022 09:33 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 09:35 PM (IST)
Swachh Survekshan 2022: जालंधर की स्वच्छता रैंकिंग में आंशिक सुधार, कूड़ा प्रबंधन बना बड़ी चुनाैती
Swachh Survekshan 2022: जालंधर की स्वच्छता रैंकिंग में आंशिक सुधार। (सांकेतिक तस्वीर))

जागरण संवाददाता जालंधर। Swachh Survekshan 2022: केंद्र सरकार ने स्वच्छता रैंकिंग-2022 के नतीजे घोषित कर दिए हैं। जालंधर नगर निगम की रैंकिंग में आंशिक सुधार हुआ है, लेकिन साल 2020 में हम जिस पायदान पर थे वहां से अभी भी 35 पायदान दूर हैं। पुरानी रैंकिंग हासिल करने में ही निगम के पसीने छूट रहे हैं। इससे आगे बढ़ना अभी बड़ी चुनौती रहेगी। नगर निगम की इस बार की रैंकिंग 154 रही है। पिछले साल यह रैंकिंग 161 थी, लेकिन साल 2020 में जालंधर की रैंकिंग 119 रही थी।

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कूड़ा प्रबंधन पर टिका सारा काम

शहर की रैंकिंग में आंशिक सुधार हुआ है लेकिन अभी भी मुश्किलें बेशुमार हैं। रैंकिंग का सारा खेल कूड़ा प्रबंधन पर टिका है और इस मामले में जालंधर वेस्ट प्रोसेसिंग शुरू करने के आसपास ही घूम रहा है। अभी तक जो भी प्रोजेक्ट बने हैं उसे लागू नहीं कर पाए। नगर निगम अगर कूड़ा प्रबंधन पर पूरी तरह से काम कर लेता है तो रैंकिंग में बड़ी उछाल मिल सकती है। कूड़ा प्रबंधन में सबसे जरूरी नए कूड़े की प्रोसेसिंग और पुराने कूड़े को खत्म करना।

बायो माइनिंग प्रोजेक्ट पर काम शुरू करवाना जरूरी

नया कूड़ा सालिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स के तहत तभी खत्म हो पाएगा, जब इसे घरों से ही छंटनी करके लेंगे। गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग लेने से वेस्ट मैनेजमेंट का आधा काम हो जाएगा। वहीं हरियाणा डंप पर जमा हुए आठ लाख क्यूबिक टन से अधिक कूड़े को खत्म करने के लिए बायो माइनिंग प्रोजेक्ट पर काम शुरू करवाना अत्यंत जरूरी है। यह प्रोजेक्ट कागजों में तो छह साल से चल रहा है, लेकिन जमीन पर अभी तक इसका नतीजा नहीं आया है। शनिवार को नई दिल्ली में स्वच्छता सर्वे के नतीजे घोषित करने के समय जालंधर नगर निगम के हेल्थ अफसर डा. श्री कृष्ण शर्मा मौजूद रहे।

जालंधर को मिले 6000 में से 3413 अंक

नगर निगम जालंधर को रैंकिंग के लिए तैयार किए गए 6000 अंक में से 3413.33 अंक मिले हैं। यह रैंकिंग की राष्ट्रीय औसत 2618 से तो काफी बेहतर है, लेकिन जालंधर को पहले 50 शहरों में लाने के लिए काफी कम है। जालंधर को सर्विस लेवल प्रोग्रेस में 2400 में से 1403, सर्टिफिकेशन में 1800 में से 600 और सिटीजन वाइस यानी कि लोगों को जागरूक करने के मामले में 1800 में से 1410 अंक मिले हैं। इन तीनों कैटेगरी में सबसे ज्यादा खराब हालात सर्टिफिकेशन में है। इसमें ही कूड़ा प्रबंधन को लेकर अंक मिलते हैं। इस कैटेगरी में 1800 में से 600 अंक खुले में शौच मुक्त के लिए किए गए काम के हैं।

इन चार कारणों से खा रहे मात कूड़ा प्रबंधन

नगर निगम शहर से रोजाना निकल रहे करीब 500 टन कूड़े की प्रोसेसिंग नहीं कर पा रहा है। इस समय पूरा फोकस पिट्स प्रोजेक्ट पर है, लेकिन पिछले चार साल में 637 में से सिर्फ 200 के लगभग पिट्स बन पाई हैं। जो पिट्स बनी हैं, वहां पर भी सिर्फ 10 से 20 परसेंट काम हो रहा है। स्टाफ की कमी और घरों से गिला और सूखा कूड़ा अलग-अलग लेने की प्रक्रिया नहीं अपनाई जा पा रही। यह प्रोजेक्ट स्वच्छता रैंकिंग में नुकसान का कारण बन रहा है।

बायो माइनिंग : वरियाणा डंप पर करीब 40 साल से इकट्ठा हो रहे कूड़े को खत्म करने के लिए बायो माइनिंग प्रोजेक्ट शुरू करने में हो रही देरी भी स्वच्छता रैंकिंग में गिरावट का एक बड़ा कारण है। अब इस प्रोजेक्ट पर स्मार्ट सिटी कंपनी के फंड से काम शुरू होना है। अगर काम शुरू हो जाता है तो आने वाले समय में नगर निगम की रैंकिंग में उछाल देखने को मिल सकता है। डंप साइट पर मशीनें लगा दी गई हैं और इसी हफ्ते काम शुरू होने की उम्मीद है

सीएंडडी वेस्ट प्लांट: शहर से निकलने वाले मलबे की प्रोसेसिंग करने के लिए सीएंडडी वेस्ट प्लांट लगाना जरूरी है। नगर निगम ने स्मार्ट सिटी कंपनी के फंड से गदाईपुर में यह प्लांट लगा लिया है, लेकिन अभी तक यहां पर प्रोसेसिंग शुरू नहीं हुई है। इस वजह से रैंकिंग में पिछड़ने का एक कारण यह प्लाट भी है। हालांकि इसके अक्टूबर में ही शुरू हो जाने की उम्मीद है और अगली सर्वे रिपोर्ट में जालंधर को फायदा मिल सकता है।

वाटर रीयूज : चौथा कारण भी बेहद अहम है। नगर निगम के लिए यह भी जरूरी है कि सीवरेज के ट्रीट किए जा रहे पानी को दोबारा इस्तेमाल में लाया जाए। यह ट्रीट किया पानी खेती, बागवानी और कंस्ट्रक्शन वर्क में इस्तेमाल हो सकता है। सड़कों की सफाई के लिए भी यही पानी इस्तेमाल करने के निर्देश हैं, लेकिन नगर निगम इनमें से एक भी नहीं कर रहा। एग्रीकल्चर में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के साफ पानी को इस्तेमाल करने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत काम शुरू करने की तैयारी है।

अगली स्वच्छता रैंकिंग में होगा सुधार : डा. श्रीकृष्ण

नगर निगम के हेल्थ अफसर डा. श्रीकृष्ण शर्मा का कहना है कि अगर यह चार कारण पकड़ कर इन पर काम शुरू हो जाता है तो जालंधर नगर निगम की रैंकिंग देश में टाप 50 शहरों में आ सकती है। इन सभी चार कारणों पर अमल होते ही सर्विस लेवल प्रोग्रेस के तहत जो भी शर्ते हैं, वह भी पूरी हो जाएंगी। सारा सिस्टम प्रोसेसिंग के इर्द-गिर्द ही जुड़ा है। अगली स्वच्छता रैंकिंग में सुधार देखने को मिलेगा।

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