मिलिये पहली पंजाबी रोबोट सरबंस कौर से, पंजाबी बोलने व समझने की क्षमता, जालंधर के शिक्षक का कमाल
जालंधर के गांव रोहजड़ी के सरकारी हाई स्कूल के शिक्षक हरजीत ने दुनिया का पहला दस्तारधारी रोबोट तैयार किया है। यह न केवल पंजाबी बोलने में सक्षम है बल्कि पंजाबी को अच्छे से समझता भी है। रोबोट से सवाल करने पर वह उसके जवाब भी पंजाबी में देता है।
भोगपुर (जालंधर), जेएनएन। भोगपुर के गांव रोहजड़ी के सरकारी हाई स्कूल के एक अध्यापक ने दुनिया का पहला दस्तारधारी रोबोट तैयार किया। यह रोबोट न केवल पंजाबी बोलने में सक्षम है बल्कि पंजाबी को अच्छे से समझता भी है। रोबोट से सवाल करने पर वह उसके जवाब भी पंजाबी में देता है। कंप्यूटर विभाग में सेवाएं निभा रहे हरजीत सिंह ने इसे तैयार किया है। रोबोट का नाम 'सरबंस कौर' रखा गया। मंगलवार को यह रोबोट सरकारी हाई स्कूल रोहजड़ी में लांच किया गया। हरजीत ने बताया कि इस रोबोट को भविष्य में अलग-अलग क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसे अध्यापकों के सहयोगी के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा, अध्यापकों के स्थान पर नहीं।
इससे पंजाबी मां बोली के प्रचार व प्रसार में सहायता मिलेगी। रोबोट लांचिंग के समय स्कूल के स्टाफ व छात्रों ने रोबोट से सवाल भी किए जिसका रोबोट ने सही जवाब दिया। इस मौके पर मुख्य अध्यापिका सुखजीत कौर, मंजू बाला, बलजीत सिंह, बलजीत कुमार, इंद्रमोहन सिंह, इंदु कालिया, जसवीर कौर, राखी, किरनजीत कौर, संगीता कपूर के अलावा समूह स्टाफ व विद्यार्थी मौजूद थे।
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घरेलू सामान के साथ किया तैयार
अन्य देशों के मुकाबले इस रोबोट को बहुत ही कम खर्चे पर तैयार किया गया। इसे तैयार करने में घरेलू वस्तुओं जैसे बच्चों के खिलौने, कापियों के कवर, गत्ता, प्लग, बिजली की तारों का इस्तेमाल किया गया है
एक गेम भी तैयार कर चुके हरजीत सिंह
जालंधर के दोआबा कालेज से एमएससी कंप्यूटर साइंस करने के बाद हरजीत सिंह कंप्यूटर अध्यापक के रूप में सेवाएं निभा रहे हैं। इससे पहले वे पंजाबी की पहली प्रोग्रामिंग भाषा के साथ-साथ 'बो एंड एरो' नाम की गेम भी तैयार कर चुके हैं।
इसलिए कर पाए रोबोट का निर्माण
हरजीत सिंह ने बताया कि पंजाबी के नामी शायर सुरजीत पातर की कविता 'मर रही है मेरी भाषा' सुनकर उन्हें दिल को गहरी चोट लगी। उन्होंने सोचा कि पंजाबी बेहद अमीर व महान भाषा है और यह मरनी नहीं चाहिए इसलिए उन्होंने कोई ऐसी चीज बनाने का फैसला लिया जो पंजाबी मां बोली के प्रचार व प्रसार के काम आ सके।
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