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शुरू हुआ आर्थिक नीति पर काम

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। बहुत संभव है कि अगले हफ्ते के अंत तक नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की नई सरकार अपना काम-धाम शुरू कर दे। वैसे भाजपा के भीतर नई आर्थिक नीतियों पर कुछ काम भी आरंभ हो गया है। पार्टी के आर्थिक एजेंडे पर काम करने वाले लोगों की एक टीम नई सरकार के लिए आर्थिक चुनौतियों से लड़ने की रणनीति तैयार करन

By Edited By: Published: Sat, 17 May 2014 11:17 PM (IST)Updated: Sat, 17 May 2014 11:18 PM (IST)
शुरू हुआ आर्थिक नीति पर काम

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। बहुत संभव है कि अगले हफ्ते के अंत तक नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की नई सरकार अपना काम-धाम शुरू कर दे। वैसे भाजपा के भीतर नई आर्थिक नीतियों पर कुछ काम भी आरंभ हो गया है। पार्टी के आर्थिक एजेंडे पर काम करने वाले लोगों की एक टीम नई सरकार के लिए आर्थिक चुनौतियों से लड़ने की रणनीति तैयार करने में जुट गई है। वहीं, वित्त मंत्रालय समेत अन्य महत्वपूर्ण आर्थिक मंत्रालय में नौकरशाही भी अपने प्रस्तावों व सुझावों के साथ नई सरकार का स्वागत करने को तैयार हैं।

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सूत्रों के मुताबिक, अगली सरकार से सभी को उम्मीद है कि वह आते ही कुछ सकारात्मक घोषणाएं करे, ताकि निवेशक समुदाय को अच्छे संकेत जाएं। पार्टी के भीतर यह सुझाव आया है कि जिन आर्थिक फैसलों को लागू करने के लिए संसद की मंजूरी जरूरत नहीं है, उन पर पहले फैसले किए जाएं। यह सुझाव सभी को पसंद आया है। इस पर अमल के लिए उन आर्थिक फैसलों की सूची तैयार करने का विचार है, जिन्हें विभिन्न मंत्रालयों के स्तर पर ही लागू किया जा सकता है। मसलन, विभिन्न मंत्रालयों से मंजूरी नहीं मिलने की वजह से अटकी बड़ी औद्योगिक और इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर तत्काल काम शुरू किया जा सकता है।

नई सरकार पर अटल बिहारी वाजपेयी की पहली राजग सरकार की आर्थिक नीतियों की भी छाप दिखाई देगी। मोदी के कुछ करीबी अर्थशास्त्रियों ने अटल सरकार की स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग परियोजना की तर्ज पर बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना शुरू करने का सुझाव दिया है। इसी तरह से वाजपेयी सरकार के विनिवेश कार्यक्रम को भी नए कलेवर में पेश किए जाने के आसार हैं। राजग हमेशा से हानि में चलने वाले सरकारी उपक्रमों के विनिवेश का पक्षधर रही है। संप्रग के पिछले दस वर्षो में रणनीतिक बिक्री के जरिये विनिवेश के तरीके को तिलांजलि दे दी गई थी। इस दौरान शेयर बाजार के जरिये विनिवेश का तरीका आजमाया जा रहा था। भारतीय अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाली कई एजेंसियां भी यह सुझाव दे रही हैं कि विनिवेश कार्यक्रम की बहुत जरूरत है।

ब्यूरोक्रेसी की तरफ से भी नई सरकार का स्वागत करने की मुकम्मल तैयारी है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), वित्त मंत्रालय और उद्योग एवं वाणिज्य मंत्रालय के आला अधिकारी अगली सरकार के आर्थिक एजेंडे पर अपने सुझावों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। कई मंत्रालयों में शनिवार को काम हुआ है और रविवार को कई मंत्रालयों को खोल कर रखा गया है।

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