गरीबों की खुले आसमान और पुआल के सहारे कट रही रात
जिम्मेदारों की जरूरतमंद परिवार पर नजर नहीं पड़ी। जैसे-तैसे दिन-रात गुजार रहे।
अमेठी : कहते हैं कि तस्वीर कभी झूठ नहीं बोलती लेकिन, यहां तो सबकुछ साफ होने के बाद भी जिम्मेदार इसे सिरे से खारिज कर रहे हैं। गरीब कुनबा के पास अलाव के लिए लकड़ी नहीं हैं। ठंड व गलन भरी रातें बिना कंबल व विस्तर के ही काटनी पड़ रही हैं। फिर भी स्थानीय प्रशासन उनकी सुध नहीं ले रहा है।
सूबे की सरकार ठंड से बचाव के लिए प्रशासन को सख्त चेतावनी दी है कि खुले में कोई भी न सोए व ठंड से बचाव के लिए शासन से प्राप्त कंबल लोगों को मुहैया कराया जाएं। बावजूद इसके सरकारी कंबल व अलाव गरीबों व निराश्रितों की पहुंच से दूर है। बानगी के तौर पर कस्बे के गांधी पार्क मैदान में एक गरीब कुनबा बीते कई दिनों से सर्द मौसम व ठिठुरन के बीच मामूली पुआल के सहारे खुले आसमां के नीचे रात काट रहा है। इसे न तो सरकारी कंबल दिया गया है और न ही अलाव के लिए लकड़ी। कुनबे के मुखिया मनोहर व माया ने बताया कि ठंड व गलन से बच्चों को बचाने के लिए सिवान से थोड़ा पुआल व सूखी पत्तियों का इंतजाम किया है। इसी के सहारे रात कट रही है।
परिवार के सदस्य रामू को बीते कई दिनों से सिर में दर्द व बुखार है। मेडिकल स्टोर से दवा लेकर खा रहा है। कंबल के लिए तहसील गया था, मगर वहां बाबू ने उसे कंबल देने से मना कर दिया। कहा पहले प्रधान के पास अपना नाम लिखवाओ।
नगर पंचायत प्रशासन 14 चिह्नित स्थलों पर अलाव जलवा रहा है। वहीं, तहसील प्रशासन भी एक दर्जन से ज्यादा चौराहों पर अलाव जलाने का दावा कर रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय तिवारी, इकबाल हैदर, अरुण मिश्र, मोनू सरदार, अधिवक्ता समर बहादुर सिंह आदि कहते हैं कि शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का शतप्रतिशत लाभ गरीबों को मिलना चाहिए।
दिसंबर माह में बांटे गए दो हजार से ज्यादा कंबल :
तहसीलदार श्रद्धा सिंह का दावा है कि तहसील में लगभग 2350 कंबल दिसंबर माह में बांटे गए हैं। तहसील क्षेत्र के प्रमुख 15 चिह्नित जगहों पर अलाव जलाए गए हैं।