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चुनावी साल में खुलेगा खजाने का मुंह

खाद्य सुरक्षा, भूमि अधिग्रहण कानून और सब्सिडी के नकद भुगतान जैसे लोकलुभावन कदमों के बाद अब संप्रग सरकार केंद्र पोषित स्कीमों को रफ्तार देने में जुट गई है। इसके लिए सरकार ने अपने खजाने का मुंह खोलने की तैयारी कर ली है। उन सभी मंत्रालयों से अपने योजना खर्च की रफ्तार बढ़ाने को कहा जाएगा, जिनका प्रदर्शन अब तक बेहद ध

By Edited By: Published: Mon, 09 Sep 2013 10:55 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2013 02:28 AM (IST)
चुनावी साल में खुलेगा खजाने का मुंह

नई दिल्ली, [नितिन प्रधान]। खाद्य सुरक्षा, भूमि अधिग्रहण कानून और सब्सिडी के नकद भुगतान जैसे लोकलुभावन कदमों के बाद अब संप्रग सरकार केंद्र पोषित स्कीमों को रफ्तार देने में जुट गई है। इसके लिए सरकार ने अपने खजाने का मुंह खोलने की तैयारी कर ली है। उन सभी मंत्रालयों से अपने योजना खर्च की रफ्तार बढ़ाने को कहा जाएगा, जिनका प्रदर्शन अब तक बेहद धीमा रहा है।

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सरकार का इरादा है कि चार राज्यों में होने वाले विधान सभा चुनावों और आगामी लोकसभा चुनावों से पहले जनता से जुड़ी योजनाओं के लिए आवंटित राशि का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो। यही नहीं, जनता तक यह संदेश देने के लिए सरकार इसके प्रचार प्रसार में भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसलिए अपने भारत निर्माण कार्यक्रम में ऐसी योजनाओं से मिलने वाले फायदों का प्रचार किया जा रहा है।

सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रालय जल्दी ही सभी मंत्रालयों को अपने लिए आवंटित योजना खर्च के इस्तेमाल में तेजी लाने को कहेगा। खासतौर पर उन मंत्रालयों पर जोर रहेगा जो अब तक आवंटित राशि का बीस फीसद भी इस्तेमाल नहीं कर पाए हैं। चूंकि आम चुनाव से पहले यह आखिरी वित्त वर्ष है, इसलिए सरकार खर्च में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती। इसलिए खासतौर पर शहरी विकास, पेयजल स्वच्छता, आवास व शहरी गरीबी उन्मूलन, अल्पसंख्यक विकास जैसे मंत्रालयों को लक्ष्य बनाया जा सकता है।

बीते साल राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने की कोशिश में वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सभी मंत्रालयों के योजना खर्च में 10 से 15 फीसद की कटौती की थी। इससे सरकार को करीब एक लाख करोड़ रुपये की बचत हुई थी। इसके चलते राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] के 4.9 फीसद पर रोकने में मदद मिली थी। इस साल भी खजाने की सेहत बहुत अधिक दुरुस्त नहीं है, लेकिन वित्त मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि राजकोषीय घाटे से अधिक सरकार के लिए चालू खाते का घाटा बड़ी चिंता है। लिहाजा फिलहाल उसी को नियंत्रण में रखने की कवायद चल रही है।

ज्यादा खर्च पर जोर :

मंत्रालय बजट खर्च आवंटन

आवंटन जुलाई तक से अनुपात

पंचायती

राज 7,000 139.86 [2 प्रति.]

आवास

शहरी गरीबी

उन्मूलन 1,460 119 [8 प्रति.]

अल्पसंख्यक

मामले 3,511 279.68 [8 प्रति.]

श्रम

रोजगार 2,446 268.61 [11 प्रति.]

गृह 12,247.79 1449 [12 प्रति.]

भारी उद्योग

पीएसई 595 79 [13 प्रति.]

कपड़ा 4,631 787.26 [17प्रति.]

पेयजल

स्वच्छता 15,260 2,553.75 [17 प्रति]

शहरी

विकास 7,566.90 1,382.13 [18प्रति]

बिजली 9,642 1,758 [18 प्रति.]

खाद्य

प्रसंस्करण 708 135.67 [19 प्रति.]

[आवंटन और खर्च करोड़ रुपये में]

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