नए वर्ष को लेकर ड्रैगन के खिलाफ अभियान होगा तेज
-फेसबुक ट्विटर व्हाट्सअप समेत सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर मिल रहा समर्थन
-फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सअप समेत सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर मिल रहा समर्थन
-स्वदेशी की ओर देश के युवाओं को ले जाने की कवायद तेज
जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : नये वर्ष के आगमन के मौके पर ड्रैगन के खिलाफ स्वदेशी जागरण मंच और उससे जुड़ी संगठनों में अभियान तेज कर दिया है। प्रचार किया जा रहा है कि नये वर्ष में तोहफा के रुप में चायनीज बनी वस्तुओं को न पाकिस्तान के हिमायत में चीन की नापाक हरकतों के खिलाफ स्वदेशी जागरण मंच ने विरोध का ऐलान कर दिया है। इसे विहिप का पूर्ण समर्थन मिल रहा है। विहिप के जिला सचिव राकेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि सोशल मीडिया पर चीन से बनकर आ रहे उत्पादों के बहिष्कार का अभियान तेज किया ही है। जिनमें चीन के भारत विरोधी रुख की जानकारी दी जा रही है। कहते है कि ड्रैगन निर्मित सामान का एक बड़ा बाजार सिलीगुड़ी है। इसलिए इस अभियान को भारत -नेपाल, बांग्लादेश और भूटान सीमांत क्षेत्रों में तेज किया गया है। इस संबंध में स्वदेशी जागरण मंच के अजय कुमार का कहना है कि सीमा पर भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी के इस दौर में चीन साफ तौर पर पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है। स्वदेशी जागरण मंच और विहिप अपने अभियान में चीन के इसी रुख को मुद्दा बना रहा है। फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सअप समेत सभी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर मंच के रणनीतिकार संदेश चला रहे हैं। जिसमें आकड़ों समेत बताया जा रहा है कि भारत में चीनी उत्पादों का कितना कारोबार है। इससे मुनाफा कमाकर किस कदर चीन अपने प्रभाव का इस्तेमाल सदैव भारत के खिलाफ करता रहा है। सोशल मीडिया और गोष्ठियों के अलावा मंच के साथ मिलकर रणनीति बनायी जा रही है। नये वर्ष के आगमन के पहले कई प्रकार से डैंगन तैयारी कर रहे हैं। उत्तर बंगाल के अलावा दूसरे राज्यों में तो इसके लिए जगह-जगह फ्लैक्स लगाकर चीन की करतूत की जानकारी दी जाएगी। चीन के खिलाफ जनमत तैयार किया जाएगा।पूर्वोत्तर के इस प्रवेशद्वार पर नये वर्ष पर चीन निर्मित चाकलेट का व्यापक आयात होता है। कई बाजार ही चायना बाजार के रुप में चर्चित है। यहां का हांगकांग मार्केट में सैकड़ों दुकानें इसका व्यापार करती है। चीन में बने इलेक्ट्रानिक सामानों का बहिष्कार करने और उसके आयात पर भी रोक लगाने की मांग कर रही है। स्वदेशी जागरण मंच को संघ और उससे जुड़े उप शाखाओं द्वारा उन्हें समर्थन मिल रहा है। इससे चीन के साथ उससे जुड़े कारोबारी को भी करारा झटका लग सकता है। कहते है कि अभियान से चीनी उत्पादों की खरीद में इस बार भारी कमी आएगी।