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'लाडले ताज के सिर पर कौन रखेगा हाथ' Shabnam Ali की फांसी को लेकर निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह नाराज

Amroha Bawankhedi Massacre सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील एपी सिंह का कहना है कि आजादी के बाद देश में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जा रही है। यह दुखद है। फांसी किसी समस्या का इलाज नहीं है। पहले भी कहा है और अब भी कह रहा हूं।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 01:34 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 02:16 PM (IST)
'लाडले ताज के सिर पर कौन रखेगा हाथ' Shabnam Ali की फांसी को लेकर निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह नाराज
निर्भया के चारों दोषियों के वकील एपी सिंह और शबनम की फाइल फोटो।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। अपने प्रेमी के साथ मिलकर माता-पिता समेत परिवार के साथ 7 लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या करने वाली शबनम को फांसी देने की तैयारी चल रही है। शबनम की फांसी को लेकर डेथ वारंट भी जारी किया जा चुका है। ऐसे में 2012 के निर्भया केस की तरह यह फांसी भी चर्चा में आ चुकी है। शबनम की फांसी को लेकर निर्भया के चारों दोषियों के वकील एपी सिंह का अहम बयान आया है। उन्होंने वीडियो संदेश में कहा है- 'शबनम और सलीम प्रकरण में फांसी देने की बात चल रही है। आजादी के बाद देश में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जा रही है। यह दुखद है। फांसी किसी समस्या का इलाज नहीं है। पहले भी कहा है और अब भी कह रहा हूं। दोषी की मनोदशा का खत्म करना चाहते थे तो उसमें सुधार लाइये। जेल को सुधार गृह रखिये... फांसीघर मत बनाइये। अंतरराष्ट्रीय स्तर की बात करें तो 100 से अधिक देशों में फांसी की सजा खत्म हो चुकी है। बता दें कि निर्भया के चारों दोषियों पवन, विनय, मुकेश और अक्षय को पिछले साल 20 मार्च की सुबह दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी। 

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इंसानी समाज में नहीं चलता आंख के बदले आंख का सिद्धांत

सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील एपी सिंह ने शबनम की फांसी देने की मांग पर कहा कि फांसी किसी समस्या का इलाज हो ही नहीं सकता है। इंसानी समाज और सभ्य समाज में आंख के बदले आंख लेंगे तो तो एक दिन दुनिया अंधी हो जाएगी। कांटों के बदले कांटों की बात करेंगे तो एक दिन सड़कों पर कांटे होंगे और लोगों को पांव में छाले।

फांसीघर नहीं सुधार घर बनाएं जेल को

लगातार फांसी के खिलाफ मुहिम चलाने वाले वकील एपी सिंह ने शबनम की फांसी को लेकर कहा कि यह बेहद दुखद है। आजाद भारत में पहली महिला को फांसी दी जाने वाली है। मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि जेल को सुधार गृह रह देना चाहिए फांसीघर नहीं बनाना चाहिए।

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बेटे ताज की याचिका पर भी बोले एपी सिंह, कहा 'उस बच्चे का क्या कसूर'

बता दें कि जेल में जन्में सलीम और शबनम के बेटे मुहम्मद ताज ने राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई है। बेटे ताज ने दया याचिका में लिखा है- 'राष्ट्रपति अंकल जी, मेरी मां को माफ कर दो।' इस पर निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह का कहना है कि इसमें शबनम के बच्चे ताज का क्या कसूर है। उसका तो एक ही सहारा उसकी मां है। एपी सिंह का कहना है कि जब सलीम और शबनम को फांसी हो जाएगी तो वह बच्चा तो अनाथ हो जाएगा।

कौन रखेगा ताज के सिर पर हाथ

एपी सिंह का कहना है कि मां शबनम को फांसी लगने वाली है। अगला नंबर पिता सलीम का है, जाहिर है उसे भी आने वाले महीनों में फांसी दे दी जाएगी। जरा, सोचिये...इंसाफ किसे मिला। माता-पिता को फांसी लगते ही वह बेचा ताज तो अनाथ हो जाएगा। ये कैसा इंसाफ है, जिसके होते ही एक बच्चा अनाथ हो रहा है। उस बच्चे ताज के सिर कौन मां आकर मुश्किल घड़ी में हाथ रखेगी।

निर्भया की दोषियों के लिए केस लड़कर चर्चा में आए एपी सिंह

सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील एपी सिंह ने निर्भया के दोषियों को फांसी से बचाने की अंतिम समय तक कोशिश की थी। 20 मार्च को सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर चारों दोषियों को फांसी देने से पहले 19 मार्च की सुबह से लेकर रातभर तक दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कार्यवाही चली थी। यहां तक 20 मार्च की तड़के 2 बजकर 30 मिनट पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर मुहर लगाई थी।

फांसी की तारीख अभी तय नहीं

उत्तर प्रदेश की रामपुर जेल में बंद शबनम की फांसी की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन शबनम को फांसी दिए जाने के लिए मथुरा की जेल में सारी तैयारी तो कर ली गई है। माता-पिता समेत परिवार के 7 लोगों की हत्या में दोषी शबनम को फांसी देने के लिए सरकारी वकील की ओर से मथुरा के जिला जज के पास डेथ वॉरंट जारी करने की मांग रखी गई थी। वहीं, राजभवन में शबनम की दया याचिका लंबित होने के कारण जज ने वॉरंट जारी करने से मना कर दिया।

प्रेम में शबनम भूल गई रिश्तों की मर्यादा

उधर, जहां दरअसल, शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर मां-बाप, भतीजे, 2 भाई, एक भाभी और रिश्ते की बहन को पहले दूध में नशीला पदार्थ मिलाकर दिया फिर रात को बेहोशी की हालत में एक-एक करके सभी को कुल्हाड़ी से काट डाला। इसी मामले में शबनम और सलीम को फांसी दी जानी है।

यह है शबनम-सलीम मामला

पढ़ी-लिखी शबनम एक 8वीं फेल सलीम से प्यार करती थी। जाहिर है कि माता-पिता के समक्ष शादी का प्रस्ताव रखा तो रिश्ते के लिए मना कर दिया गया। इसके बाद प्रेम में अंधी शबनम ने ऐसा खूनी खेल खेला कि इतिहास बन गया। 14 अप्रैल 2008 की रात को अमरोहा के हसनपुर तहसील के गांव बावनखेड़ी में खूनी खेल हुआ। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, शबनम ने प्रेमी सलीम से साजिश के तहत कहा कि वह उसे नशे की गोलियां लाकर दे जिससे सभी को बेहोश कर उन्हें मारा जा सके. सलीम ने 10 गोलियां मेडिकल से लाकर शबनम को दे। सलीम ने ऐसा ही किया। फिर शबनम ने गोलियां दूध में मिलाकर पूरे घर को दे दीं, लेकिन 11 साल के भतीजे को दूध नहीं दिया। नशे वाला दूध पीकर जब सब बेहोश हो गए तो सलीम और शबनम ने कुल्हाड़ी से सबका गला काट दिया।नजदीक के ट्यूबवेल पर खून से सने हाथ-पैर धोने के बाद जब शबनम ने देखा कि उसका भतीजा जीवित रह गया है तो 11 साल के भतीजे की गला दबाकर हत्या कर दी। निचली अदालत और इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट भी शबनम-सलीम की फांसी पर मुहर लगा चुका है। 

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यह भी जानें

  • निचली अदालत ने सलीम और उसकी प्रेमिका शबनम को एक जून 2009 को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।
  • जनवरी 2020 में सलीम की रिट सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।
  • सुप्रीम कोर्ट से मदद न मिलने पर प्रेमी युगल ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल की। राष्ट्रपति ने शबनम की दया याचिका खारिज कर दी।
  • सलीम की याचिका अभी लंबित है।

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