हिमाचल में पार्टी चिह्न पर होंगे नगर निगम चुनाव, महापौर व उपमहापौर का चुनाव पार्षद करेंगे, जानिए
Municipal Corporation Election हिमाचल प्रदेश में होने वाले नगर निगम चुनाव अब पार्टी चिह्न पर होंगे। साथ ही महापौर और उपमहापौर का चुनाव सीधे नहीं होगा उन्हें पार्षद चुनेंगे। राजनीतिक दलों सहित कई वर्गों ने इस मांग को उठाया था।
शिमला, धर्मशाला, जेएनएन। Municipal Corporation Election, हिमाचल प्रदेश में होने वाले नगर निगम चुनाव अब पार्टी चिह्न पर होंगे। साथ ही महापौर और उपमहापौर का चुनाव सीधे नहीं होगा, उन्हें पार्षद चुनेंगे। शिमला स्थित राज्य सचिवालय में मंगलवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया। राजनीतिक दलों सहित कई वर्गों ने इस मांग को उठाया था। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला आरक्षण में अन्य पिछड़ा वर्ग को भी रोस्टर में शामिल किया जाएगा।
महापौर को पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव के लिए तीन-चौथाई कोरम होना चाहिए। दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होगा। इसके लिए हिमाचल प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1994 और हिमाचल प्रदेश चुनाव निगम-2012 में संशोधन किया जाएगा। विधानसभा के आगामी बजट सत्र में दोनों संशोधन पेश होंगे। मई, 2012 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में नगर निगम में पहली और अंतिम बार दोनों पदों के लिए सीधा चुनाव हुआ था। सत्ता परिवर्तन के बाद वीरभद्र सिंह ने निर्णय को पलट दिया था।
प्रदेश में शिमला, धर्मशाला, मंडी, सोलन व पालमपुर पांच नगर निगम हैं। शिमला में चुनाव हो चुके हैं। अन्य में जल्द ही चुनाव होने हैं। बैठक में दो कैबिनेट मंत्री राकेश पठानिया व डा. राजीव सैजल मौजूद नहीं थे।
निगम आयुक्त के लिए अब सात व नौ साल का अनुभव
अब तक नगर निगम आयुक्त पद के लिए नियुक्ति के लिए दस साल का अनुभव चाहिए होता था। मंत्रिमंडल की बैठक में आइएएस अफसरों के लिए सात व एचएएस अफसरों के लिए नौ साल के अनुभव को स्वीकृति प्रदान की है।
45 वर्ष से कम विधवा को नर्सिंग कालेजों में एक सीट
मंत्रिमंडल ने सरकारी व निजी नर्सिंग कॉलेजों में प्रशिक्षण के 45 वर्ष से कम उम्र की विधवाओं के लिए एक सीट का प्रविधान किया गया।
मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना लागू
कृषि उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन, रियायत और सुविधा देने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल ने किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ)-2020 मुख्यमंत्री कृषि कोष योजना लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत एफपीओ कुल परियोजना लागत की 30 प्रतिशत प्रारंभिक राशि का लाभ उठा सकते है, जिसके लिए अधिकतम सीङ्क्षलग छह लाख अथवा एफपीओ द्वारा अर्जित डेढ़ गुणा इक्विटी (जो भी कम हो) का लाभ मिल सकेगा। यह योजना बैंक ऋण, ब्याज अनुदान आदि के लिए क्रेडिट गारंटी कवर भी सुनिश्चित करेगी।