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कभी यहां लोगों के लिए अजूबा था मोबाइल, आज नेटवर्क पहुंचने से बजने लगी घंटी; हो सकेगी अपनों से बात

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुदूरवर्ती सर बडियार पट्टी के डिंगाड़ी और सर गांव में मोबाइल की घंटी बजने लगी है। भले ही अभी मोबाइल कनेक्टिविटी घरों के अंदर तो नहीं आ रही है लेकिन ग्रामीण अपने आंगन और खेतों जाकर अपने स्वजनों से बात कर रहे हैं।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 09:14 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 09:14 AM (IST)
कभी यहां लोगों के लिए अजूबा था मोबाइल, आज नेटवर्क पहुंचने से बजने लगी घंटी; हो सकेगी अपनों से बात
सर बडियार पट्टी में अब मोबाइल नहीं रहा अजूबा।

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में सुदूरवर्ती सर बडियार पट्टी के डिंगाड़ी और सर गांव में मोबाइल की घंटी बजने लगी है। भले ही अभी मोबाइल कनेक्टिविटी घरों के अंदर तो नहीं आ रही है, लेकिन ग्रामीण अपने आंगन और खेतों जाकर अपने स्वजनों से बात कर रहे हैं। अब इन ग्रामीणों के लिए मोबाइल अजूबा नहीं रहा है। 

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पुरोला तहसील की पट्टी सर बडियार क्षेत्र के सर, पौंटी, डिंगाड़ी, लेवटाड़ी, छानिका, गोल, किमडार, कासलौं गांव पड़ते हैं। पुरोला तहसील मुख्यालय से इन गांवों तक पहुंचने के लिए 18 किलोमीटर से अधिक पैदल चलना पड़ता है। दूसरा रास्ता बड़कोट से सरनौल तक 40 किलोमीटर सड़क मार्ग है। सरनौल के निकट गंगराली पुल से 16 किलोमीटर दूर सर बडियार है। ये गांव अभी तक सड़क मार्ग से नहीं जुड़ सके हैं। वन भूमि हस्तांतरण की कार्यवाही चल रही है, लेकिन इसी बीच सर और डिंगाड़ी गांव में सरनोल के जिओ कंपनी के टावर से नेटवर्क आ रहे हैं और इंटरनेट की कनेक्टिविटी भी आ रही है। गांव में कुछ ग्रामीणों ने मोबाइल भी खरीद दिए हैं। 

डिंगाड़ी गांव से मोबाइल के जरिये दैनिक जागरण से बात करते हुए गांव निवासी कैलाश सिंह रावत ने कहा कि उन्हें इतनी जल्दी ऐसी उम्मीद नहीं थी कि सर बडियार में मोबाइल नेटवर्क आ जाएंगे और ग्रामीण गांव से ही शहरों में रह रहे अपने स्वजनों की कुशलक्षेम पूछ सकेंगे। कैलाश रावत ने बताया कि अभी सर बडियार के छह अन्य गांवों में मोबाइल नेटवर्क नहीं है। सही नेटवर्क और इंटरनेट की सही कनेक्टिविटी के लिए सर बडियार क्षेत्र में टावर लगाया जाना जरूरी है। इसके लिए उनकी जिओ कंपनी के अधिकारियों से भी बात हुई है। साथ ही सरनौल में लगे मोबाइल टावर की रेंज क्षमता बढ़ाने की भी मांग की है। 

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