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निजी चिकित्‍सकों की सलाह लेने के लिए नहीं लगानी पड़ेगी लंबी लाइन, अब ऐसे लगेगा 'नंबर'

गोरखपुर के निजी डाक्टरों ने नई पहल करते हुए डाकबाक्स साफ्टवेयर का उपयोग कर पूरी चिकित्सा व्यवस्था को आनलाइन कर दिया है। मरीज का नाम मोबाइल नंबर बीमारी की पूरी हिस्ट्री व पर्चा सब आनलाइन लिखा जा रहा।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 07:05 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 09:36 AM (IST)
निजी चिकित्‍सकों की सलाह लेने के लिए नहीं लगानी पड़ेगी लंबी लाइन, अब ऐसे लगेगा 'नंबर'
गोरखपुर में निजी चिकित्‍सकों से परामर्श लेने के लिए अब लंबी लाइन नहीं लगानी पड़ेगी। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। गोरखपुर की चिकित्‍सा व्‍यवस्‍था भी अब डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रही है। लगभग 12 निजी डाक्टरों ने नई पहल करते हुए डाकबाक्स साफ्टवेयर का उपयोग कर पूरी चिकित्सा व्यवस्था को आनलाइन कर दिया है। मरीज का नाम, मोबाइल नंबर, बीमारी की पूरी हिस्ट्री व पर्चा सब आनलाइन लिखा जा रहा। यदि मरीज वाट्सएप का उपयोग करता है तो डाक्टर पर्चा उसे मोबाइल पर भेज देते हैं, नहीं तो प्रिंट करके दे देते हैं। मरीज के दोबारा पहुंचने पर एक क्लिक में उसकी पूरी हिस्ट्री खुल जाती है। ओपीडी व भर्ती, दोनों तरह के मरीजों का डाटा साफ्टवेयर अपलोड किया जा रहा है। मरीज आनलाइन एप्वाइंटमेंट भी ले सकते हैं।

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डाक्टरों ने आनलाइन की पूरी व्यवस्था, पर्चा भी मोबाइल पर भेजने की सुविधा

मरीज का नाम व मोबाइल नंबर ज्यों ही आनलाइन साफ्टवेयर में फीड किया जाता है, उसके मोबाइल नंबर पर यूनिक आइडी, दिखाने का नंबर व समय का मैसेज तुरंत आ जाता है। वह अपने समय पर पहुंचता है। क्लीिनिक में बैठकर टीबी देखता है। उसमें अपना नंबर आने पर डाक्टर के चैंबर में चला जाता है। डाक्टर जांच करने के बाद पर्चे पर दवा भी आनलाइन ही लिखते हैं और उसे मरीज के मोबाइल पर भेज देते हैं।

शीघ्र जारी हो जाएगी डाक्टरों की सूचीइंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने डाकबाक्स से वेबसाइट व एप बनाने के लिए करार किया है। अध्यक्ष डा. मंगलेश श्रीवास्तव ने बताया कि अधिकतम दो-तीन माह में दोनों चीजें तैयार हो जाएंगी, जिसे आम आदमी के लिए खोल दिया जाएगा। वेबसाइट व एप पर सभी डाक्टरों के नाम, विशेषज्ञता व मोबाइल नंबर होंगे। मरीज जिस डाक्टर को दिखाना चाहे, उनसे आनलाइन एप्वाइंटमेंट ले सकता है।

यह है फायदा

क्लीिनिक पर भीड़ एकत्रित नहीं होती है।

एप्वाइंटमेंट लेने पर मरीज के मोबाइल पर समय व नंबर का मैसेज आ जाता है।

नंबर व समय देखकर मरीज क्लीनिक पर पहुंचते हैं।

मरीज का सारा ब्योरा डाक्टर के पास सुरक्षित होता है।

कागज का कम से कम प्रयोग।

समय-समय पर मरीजों को मैसेज के जरिये सुझाव दिए जाते हैं।

फीस व दवा की रसीद मरीज को दी जाती है।

डाक्टर को इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने में आसानी होती है।

ऐसे ले सकते हैं आनलाइन एप्वाइंटमेंट

मरीज के मोबाइल पर भेजे गए मैसेज में डाकबाक्स का लिंक भी होता है, उस पर क्लिक करने पर एक पेज खुलता है, जिसपर बुक एप्वाइंटमेंट का विकल्प रहता है।

डाकबाक्स का एप डाउनलोड करके।

डाक्टर के पर्च पर लिखे मोबाइल नंबर पर फोन करके।

आनलाइन व्यवस्था से डाक्टर व मरीज दोनों को फायदा है। मरीज आनलाइन एप्वाइंटमेंट लेता है तो समय व नंबर का मैसेज उसके तथा क्लीनिक के मोबाइल नंबर पर आ जाता है। वह उस समय पहुंचता है तो लाइन नहीं लगानी पड़ती है। सारी चीजें पारदर्शी होती हैं। इनकम टैक्स रिटर्न भरने में भी हमें आसानी होती है। - डा. इमरान अख्तर, हड्डी रोग विशेषज्ञ

मरीज का पर्चा व दवा भी आनलाइन ही लिखी जाती है। दवा व फीस की रसीद तथा पर्चा मरीज के मोबाइल पर भेज दिया जाता है। यदि वह वाट्सएप का इस्तेमाल नहीं करता है तो प्रिंट निकालकर दे दिया जाता है। सारी चीजें कंप्यूटर में सुरक्षित रहती हैं। वह केवल यूनिक आइडी बताएगा, उसकी पूरी हिस्ट्री खुल जाएगी। - डा. एसके त्रिपाठी, हड्डी रोग विशेषज्ञ

मरीज फोन भी करता है तो उसका एप्वाइंटमेंट आनलाइन ही भरा जाता है। भरने के बाद एक मैसेज क्लीनिक के व दूसरा मैसेज मरीज के मोबाइल नंबर पर चला जाता है। उस पर समय भी दर्ज होता है। मरीज अपने समय पर पहुंचता है। इसलिए भीड़ एकत्रित नहीं होती है। कोरोना से भी बचाव होता है। - डा. वाई सिंह, नेत्र रोग विशेषज्ञ


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