कुशीनगर में आवास जर्जर, रात में नहीं रहते चिकित्सक
कुशीनगर के छितौनी में किराये पर कमरा लेकर रहते हैं स्वास्थ्यकर्मी जनप्रतिनिधि व अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान।
कुशीनगर: नवसृजित नगर पंचायत छितौनी स्थित संयुक्त अस्पताल के चिकित्सकों व कर्मचारियों का आवास जर्जर हो गया है। रात में चिकित्सक यहां नहीं रहते हैं, इससे मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ती हैं।
छितौनी चीनी मिल के मालिक की ओर से 70 के दशक में कैंपस में करीब छह एकड़ भूमि पर महिला अस्पताल का भवन, चिकित्सक, स्टाफ नर्स, स्वास्थ्यकर्मियों के आवास के साथ बाउंड्री कराई गई थी। करीब दो दशक तक यह आसपास क्षेत्र के दर्जनों गांवों समेत सीमावर्ती बिहार के मरीजों के लिए वरदान जैसा रहा। वर्ष 1985 में चीनी मिल का उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिग्रहण कर लिया। धीरे-धीरे महिला अस्पताल के संसाधनों में कटौती होने लगी। 90 के दशक में प्रदेश सरकार ने महिला अस्पताल के साथ न्यू पीएचसी को जोड़ कर संयुक्त अस्पताल बना चिकित्सकों व कर्मचारियों को तैनात कर दिया।
मौजूदा समय में एक महिला चिकित्सक समेत तीन डाक्टर तैनात हैं, लेकिन आवास के अभाव में कोई रात में यहां नहीं रहता है। सुभाष चंद जायसवाल, दिनेश जायसवाल, मनोज गुप्ता, रमेश जायसवाल, अरविद पांडेय, संदीप कुशवाहा, नुरुल हसन, अमरजीत गुप्ता, प्रशांत राय, फिरोज लारी, विजय कुशवाहा आदि ने सांसद विजय कुमार दूबे व विधायक जटाशंकर त्रिपाठी समेत विभागीय उच्चाधिकारियों को पत्रक भेजकर आवासों का जीर्णोद्धार कराने की मांग की है।
मरीजों के स्वास्थ्य से खेल रहे झोलाछाप, कार्रवाई नहीं
चिकित्सा विभाग की लापरवाही से विशुनपुरा थानाक्षेत्र में झोलाछाप की चांदी है। ये इलाज के नाम पर मरीजों से मनमाना धन तो वसूल रहे हैं, लेकिन गंभीर बीमारी की दशा में जान के लिए खतरा बन जाते हैं।
क्षेत्र के गौरीश्रीराम, गौरी जगदीश, तिवारीपट्टी, रकबा दुलमापट्टी, चौबेया पटखौली, पांडेय पट्टी आदि चौराहों पर तमाम झोलाछाप हैं। डिग्री व संसाधन विहीन इन झोलाछाप की कारगुजारियों से कई लोग जान गंवा चुके हैं।
गत माह गौरीश्रीराम स्थित एक निजी अस्पताल में एक मरीज के मरने पर हंगामा होने पर अस्पताल सील हुआ, लेकिन मामला ठंडा होते ही पुन: खुल गया। क्षेत्रीय लोगों ने झोलाछाप के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है। सीएमओ डा. एनके गुप्त ने कहा कि शीघ्र ही अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।