हादसों के बाद भी फायर अलार्म पर नहीं जागा रेलवे
हर साल-दो साल में कहीं न कहीं किसी न किसी ट्रेन में आग लगने और बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने के बावजूद ट्रेनों में फायर अलार्म को लेकर रेलवे की नींद नहीं खुली है। केवल एसी बोगियों में फायर अलार्म लगाने का निर्णय किया गया है, लेकिन क्रियान्वयन की स्थिति नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। हर साल-दो साल में कहीं न कहीं किसी न किसी ट्रेन में आग लगने और बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने के बावजूद ट्रेनों में फायर अलार्म को लेकर रेलवे की नींद नहीं खुली है। केवल एसी बोगियों में फायर अलार्म लगाने का निर्णय किया गया है, लेकिन क्रियान्वयन की स्थिति नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसी है।
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दसियों साल तक रेलवे पुराने फायर अलार्म सिस्टम पर प्रयोग करती रही। खामियों के कारण इक्का-दुक्का ट्रेनों में लगाने के बाद उस परियोजना को बंद कर दिया गया। सालभर पहले नया फायर अलार्म सिस्टम सामने आया और इसे पुराने के मुकाबले बेहतर बताया गया। कहा गया कि नया सिस्टम कोच के भीतर जरा से धुएं को भी पकड़ने में सक्षम है जिससे यात्रियों को बचने का समय मिल जाता है। लेकिन वेरी अर्ली वार्निग स्मोक डिटेक्शन सिस्टम [वीईडब्लूएसडीएस]नामक इस सिस्टम की बड़ी खामी यह है कि यह केवल एसी बोगियों में काम करता है।
बहरहाल, भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस में सफल परीक्षण के बावजूद इस सिस्टम को केवल नई दिल्ली-रांची राजधानी एक्सप्रेस में ही लगाया गया है। दरअसल, आरडीएसओ, लखनऊ इसे और उन्नत बनाने जुटा है। वह इसे ट्रेन की ब्रेक प्रणाली से संबद्ध करने का प्रयास कर रहा है। ताकि ट्रेन में आग लगने से पहले न केवल हूटर के जरिए यात्रियों को सावधान किया जा सके, बल्कि बोगियों से बाहर निकलने के लिए ट्रेन को आटोमैटिक ब्रेक से रोका भी जा सके।
नई फायर अलार्म प्रणाली पहले आग लगने की संभावना पहचानती है और फिर चार चरणों में आग की चेतावनी देती है। पहली दो चेतावनियां लोको पायलट, ट्रेन सुप्रिन्टेंडेंट, टीटी, गार्ड व अटेंडेंट को मिलती हैं। बाकी दो चेतावनियां यात्रियों को अलर्ट करती हैं। इसके उपरांत ट्रेन में ब्रेक लगते हैं और हूटर बजता है। चूंकि यह प्रणाली अभी भी विकास की अवस्था में है, लिहाजा रेलवे बोर्ड ने फिलहाल इसे केवल राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में लगाने की संस्तुति की है। मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों में इसे लगाने का निर्णय अभी तक नहीं लिया जा सका है। बेंगलूर-नांदेड़ एक्सप्रेस की जिन एसी बोगियों में आग लगने से 26 लोग मारे गए उनमें भी किसी भी तरह की फायर अलार्म प्रणाली नहीं थी।
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