SNMMCH Dhanbad: यहां दान की हुई आंखें नहीं देख पा रही दुनिया, डीसी ने दिए जांच के आदेश
नेत्रदान के बाद कार्निया को कॉर्निसोल नामक लिक्विड में सुरक्षित रखा जाता है। इसके बाद जरूरतमंद को खोज कर इसे आई ट्रांसप्लांट कराया जाता है। लेकिन नेत्रदान के लिए प्रेरित करने वाले अंकित राजगढ़िया और गोपाल भट्टाचार्य ने बताया कि आई बैंक के पास कॉर्निसोल नहीं था।
धनबाद, जेएनएन। एसएनएमएमसीएच के आई बैंक में झरिया के महेश अग्रवाल की दान को ही आंखें खराब होने के बाद चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। दैनिक जागरण की खबर के बाद उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने इसके जांच के निर्देश दे दिए हैं। वहीं समाजसेवियों ने इसकी शिकायत स्वास्थ्य सचिव केके सोन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से की है। उपायुक्त ने कॉर्निया की स्थिति क्या है, यदि खराब हुई है, तो इसके जिम्मेदार कौन अधिकारी हैं। इस संबंध में अधीक्षक डॉ अरुण कुमार चौधरी और प्राचार्य डॉ अरुण शैलेंद्र कुमार से जानकारी मांगी है। उपायुक्त ने कहा है यह काफी गंभीर मामला है। यदि कोई व्यक्ति नेत्र दान करता है, तो उसके साथ उनकी अंतिम इच्छा जुड़ी हुई होती है। लेकिन दान की हुई आंखें किसी जरूरतमंद को न लगकर खराब हो जाए तो यह गलत है। उपायुक्त ने कहा एसएनएमएमसीएच प्रबंधन से जांच करके रिपोर्ट देने को कहा गया है।
कॉर्निसोल की जगह ग्लिसरीन में रखा कॉर्निया
नेत्रदान के बाद कार्निया को कॉर्निसोल नामक लिक्विड में सुरक्षित रखा जाता है। इसके बाद जरूरतमंद को खोज कर इसे आई ट्रांसप्लांट कराया जाता है। लेकिन नेत्रदान के लिए प्रेरित करने वाले अंकित राजगढ़िया और गोपाल भट्टाचार्य ने बताया कि आई बैंक के पास कॉर्निसोल नहीं था। लिहाजा उन लोगों ने इसे ग्लिसरीन में रख दिया जिस पर 8 फरवरी को ही यह कॉर्निया खराब हो गया था। जबकि अभी तक डॉक्टर टालमटोल कर रहे हैं।
8 फरवरी को किया था नेत्रदान
58 वर्षीय व्यवसाई महेश अग्रवाल के सीने में दर्द के बाद जालान अस्पताल में निधन हो गया था। निधन के बाद उनके पुत्र अजय और समाजसेवियों ने नेत्रदान की बात कही। लेकिन आई बैंक के डॉक्टरों का कहना था उनके पास कर्निसोल नहीं है। फिर रात 1 बजे जालान अस्पताल आकर डॉक्टरों की टीम कॉर्निया ले गए। आई बैंक में कार्निया को रखने के लिए मात्र 14 दिनों तक की सुरक्षित रखा जा सकता है। लेकिन 14 दिन भी पार हो गए हैं। अस्पताल का डॉक्टर कुछ बता नहीं रहे हैं।