अवैध खनन से मौत का कुआं बन गया सोन नद: 30 फीट गहरी खाई कर निकाला जा रहा बालू, नियमों की उड़ रहीं धज्जियां
अवैध खनन के चलते सोन नद मौत का कुआं बन चुका है। बुधवार को सोन नद में डूबकर चार बच्चों की मौत की वजह भी अवैध खनन मानी जा रही है। खनन करने वाली कंपनियां नियमों को ताक पर रखकर बालू निकाल रही हैं।
कंचन किशोर, आरा: बालू के अवैध खनन के कारण सोन नद जगह-जगह मौत का कुआं बन चुका है। बालू के अवैध खनन के साथ ही वैध रूप से आवंटित घाटों पर भी नद के स्वरूप से छेड़छाड़ हो रही है। इन कारणों से नद में गहरे गड्ढे बन गए हैं और इसमें स्नान करना बहुत असुरक्षित हो गया है।
जिले के संदेश और अजीमाबाद थाना क्षेत्र के सीमावर्ती नुरपुर के समीप बुधवार को सोन नद में डूबकर चार बच्चों की मौत हो गई। इसके पीछे भी अवैध खनन को माना जा रहा है। इस कारण घटना की जानकारी देते हुए स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए और सड़क पर उतर कर प्रशासन के खिलाफ घंटों प्रदर्शन किया। हालांकि, नूरपुर में जिस घाट पर घटना हुई, वह कलस्टर नंबर 24 के अधीन आता है और वहां खनन के लिए लाइसेंस जारी किए गए हैं।
लाइसेंस की आड़ में प्रकृति से छेड़छाड़
लाइसेंस की आड़ में खनन कंपनियां बेहिचक नद के प्राकृतिक स्वरूप को नष्ट कर रहीं हैं। भाकपा माले के स्थानीय नेता संजय कुमार बताते हैं कि बेहिसाब बालू खनन न सिर्फ यहां सोन नद पर आधारित स्थानीय लोगों के जलीय रोजगार को खत्म कर रहा है, बल्कि क्षेत्र के लोगों को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर भी कर रहा है। खनन में माफियाओं की कंपनियां लगीं हैं, जिन पर नजर रखने में स्थानीय प्रशासन भी सौ बार सोचता है, ऐसे में उनसे नियमों के दायरे में काम करवाना बेहद मुश्किल है।
सोन नद में चार बच्चों की डूबकर मरने की यह इकलौती घटना नहीं है। पिछले साल सितंबर में भी स्कूल से लौटने के दौरान नहाने गए चार बच्चों में से दो की डूबने से मौत हो गई थी। तब यह घटना कोईलवर के राजापुर घाट पर हुई थी। इंग्लिश पुर गांव के चार बच्चे नदी किनारे घूमने गए और पोकलेन मशीन से बालू निकालने के कारण बने गड्ढे में चले गए। दो बच्चे किसी तरह निकल आए, जबकि दो का शव बाहर आया।
बालू खनन से बिगड़ रहा पर्यावरण संतुलन
बालू के अंधाधुंध खनन से सोन नद न केवल खतरनाक स्वरूप ले रहा है, बल्कि इसकी जैव विविधता भी नष्ट हो रही है। स्थानीय भोला चौधरी, झपासु चौधरी और बिंदु चौधरी ने बताया कि नद के गड्ढे में तब्दील होने से उन लोगों का मछली पालन का व्यापार भी खत्म हो गया है।
पर्यावरणविद् मानते हैं कि नद से अत्यधिक खनन प्राकृतिक संतुलन के लिए एक बड़ा खतरा हो जाता है, इससे जलीय पौधे और सूक्ष्म जीवों के साथ-साथ नदी तंत्र की खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है।
सालभर में वसूला 34 करोड़ रुपये का जुर्माना
नियमों के दायरे में कंपनियां खनन करें, इसके लिए सतत निगरानी की जाती है और अवैध खनन पर कार्रवाई की जाती है। साल भर में अवैध खनन और ओवरलोड पर 34 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूला गया है।
-आनंद प्रकाश, जिला खनन पदाधिकारी, भोजपुर