उत्तरायणी कौतिक पर तराई मे दिखी कुमाऊं-गढ़वाल संस्कृति की झलक
पर्वतीय महासभा समिति बाजपुर के तत्वावधान में गुरुवार को उत्तरायणी मेले में दिखाई दी कुमाऊं-गढ़वाल संस्कृतियों की शानदार झलक। कलाकारों ने समां बांध दिया।
जागरण संवाददाता, बाजपुर/किच्छा : पर्वतीय महासभा समिति बाजपुर के तत्वावधान में गुरुवार को उत्तरायणी कौतिक-2021 का पं. केशव दत्त कांडपाल ने विधिवत शुभारंभ किया। स्थानीय कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी। तराई की धरती पर कुमाऊं-गढ़वाल संस्कृति की झलक देख लोग खासे रोमांचित नजर आए। दूसरी ओर, किच्छा में विधायक राजेश शुक्ला ने लोगों को मकर संक्रांति का महत्व बताते हुए शुभकामनाएं दीं।
गुरुवार को प्रगतिशील जूनियर हाई स्कूल बरहैनी परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों ने भी कुमाऊंनी-गढ़वाली गीतों पर शानदार नृत्य कर समां बांध दिया। बोल-बोल हीरा बोल, क्या तेरे मन में.., तेरो लहंगा छ लाल, तू लागे छौ कमाल.., आज का दिनां तू होली घर पना, ओ रंगीली हो सिया प्राणा.., लाल चुन्नी कुर्ती तेरी काली.., मेरी हिरु नागे रंगीलो पहाड़ा.., दूर आए बाना बाज काटना.., प्यारी जन्मभूमि मेरो पहाड़.. सरीखे गीतों पर लोग झूम उठे। संचालन पीडी ममगई व मंजू ममगई ने किया। इस मौके पर पर्वतीय महासभा समिति के अध्यक्ष एलडी पनतोला, सुरेश चंद्र पांडेय, पूरन चंद्र जोशी, वीरेंद्र सिंह बिष्ट, हरीश भट्ट, डा. मोहन चंद्र पांडेय, एनडी जोशी, खीम सिंह दानू, केके जोशी, धर्मेंद्र सिंह बसेड़ा, भगवंत सिंह म्यान मौजूद रहे। विशिष्ट अतिथि केशव कांडपाल व पूर्व कैप्टन लक्ष्मण सिंह मेहरा को समिति के सदस्यों ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। सांस्कृतिक धरोहर सहेजना सबकी जिम्मेदारी : शुक्ला
किच्छा : मकर संक्रांति के अवसर पर विधायक राजेश शुक्ला ने उत्तरांचल सांस्कृतिक समिति के हाल निर्माण कार्य का शिलान्यास किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है।
विधायक ने कहा कि मकर सक्रांति का हिदू धर्म में विशेष महत्व है। इसे पूरे देश में अलग-अलग नामों से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उत्तराखंड में मकर संक्रांति को जहां घुघुती के रूप में ,पंजाबी समाज इसे लोहड़ी के रूप में, तो पूर्वांचल में खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है। कार्यक्रम का संचालन मोहन सिंह ऐरी ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा नेता कुंदन लाल खुराना, हरीश पंत, राधेश्याम पांडे, विवेक राय, जानकी तिवारी, जीवन चंद्र पंत, प्रकाश पंत, लक्ष्मण सिंह बिष्ट, दीपक पाठक, भगत सिंह मौजूद थे।