जलजनित बीमारियां बड़ी समस्या, निपटने के हों इंतजाम
पूर्वाचल में एक तरफ जहां इंसेफेलाइटिस के साथ दूसरी मच्छर व जलजनित बीमारियों का कहर रहता है तो दूसरी तरफ सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं के अभाव में गंभीर रोगों के शिकार लोगों को पीजीआइ व एम्स जैसे बड़े अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है।
गोरखपुर। पूर्वाचल में एक तरफ जहां इंसेफेलाइटिस के साथ दूसरी मच्छर व जलजनित बीमारियों का कहर रहता है तो दूसरी तरफ सुपर स्पेशलिटी सुविधाओं के अभाव में गंभीर रोगों के शिकार लोगों को पीजीआइ व एम्स जैसे बड़े अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। हृदय, किडनी, लिवर, संक्रमण आदि के दस हजार से अधिक लोग बाहर रेफर किए जाते हैं और भारी तादाद में मौतें भी होती हैं। पिछले चौंतीस वर्षो में पचीस हजार से अधिक जानें ले चुके इंसेफेलाइटिस तक के रोकथाम व इलाज के संसाधनों की कमी है। इनसे निपटने के लिए जहां साफ-सफाई व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करनी होगी, जनता को स्वास्थ्य शिक्षा देनी होगी, वहीं गोरखपुर में एम्स व पीजीआइ स्तर का अस्पताल खोलना होगा।
जागरण के अभियान 'चलो आज कल बनाते हैं' के तहत मंगलवार को कार्यालय में पूर्वाचल में स्वास्थ्य की चुनौतियां व समाधान विषय पर आयोजित गोष्ठी में जुटे चिकित्सकों की बातचीत में कमोवेश यही बातें उभर कर सामने आई।
बाल रोग विशेषज्ञ डा.यशवीर सिंह ने साफ किया कि पर्यावरण पर गहराता संकट बीमारियों की वजह है। जल व वायु प्रदूषण गंभीर समस्या बने हुए हैं। पूर्वाचल में तो सत्तर फीसद बीमारियां जलजनित हैं। यहां इंसेफेलाइटिस व अन्य बीमारियों से निपटने के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करनी होगी। सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारनी होगी। बच्चों को कुपोषण से बचाने पर ध्यान देना होगा।
सीना रोग विशेषज्ञ डा.वीएन अग्रवाल ने मौजूदा संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारी जाए। स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर हेल्थ पोस्टों को मजबूत किया जाए। डाक्टरों के रिक्त पदों को भरा जाए। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मेडिकल कालेज व दूसरे सरकारी अस्पतालों में ओपीडी के घंटे बढ़ाए जाए। मेडिकल कालेज को रेफरल सेंटर को रूप में इस्तेमाल किया जाए।
डा.ओएन श्रीवास्तव की राय थी कि पीजीआइ लखनऊ में अधिकतर रोगी पूर्वाचल के होते है। इसको देखते हुए गोरखपुर में एम्स खोला जाए। मेडिकल कालेज में डाक्टरों के रिक्त पद भरे जांए, सुपर स्पेशलिटी सेवाएं बढ़ाई जांए। बीमारियों से बचाव के लिए शुद्ध जल, सफाई व्यवस्था ठीक की जाए, लोगों को स्वास्थ्य शिक्षा दी जाए।
आर्थोसर्जन डा. ऋतेश कुमार ने कहा कि डाक्टरों की कमी सरकारी अस्पतालों की बड़ी समस्या है। ऐसे में आयुर्वेद आदि दूसरी विधाओं के डाक्टरों को इमरजेंसी मेडिसिन इत्यादि का प्रशिक्षण देकर स्वास्थ्य सेवा में शामिल किया जाए। पूर्वाचल में बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाए।
आयुर्वेद चिकित्सक डा. जेपी नारायण ने अस्पतालों में संसाधन बढ़ाने पर जोर दिया। पिछले वर्षो में अस्पतालों में आने वाले मरीजों का बोझ तो कई गुना बढ़ा है, पर उसको देखते हुए चिकित्सकों, स्टाफ व बेडों की तादाद नहीं बढ़ी है। इंसेफेलाइटिस व अन्य गंभीर बीमारियां हर साल लोगों की मौत की वजह बनती हैं। इसको देखते हुए यहां एम्स की स्थापना होनी चाहिए। अस्पतालों के भवन निर्माण, दवाओं, डाक्टरों की तैनाती के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन से करोड़ों रुपये तो मिलते हैं लेकिन योजनाएं भ्रष्टाचार का शिकार हो जाती हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए।
डा. एसी श्रीवास्तव ने साफ-सफाई व शुद्ध पेयजल की कमी को पूर्वाचल में बीमारियों कर जड़ बताते हुए इन समस्याओं से निपटने और लोगों को स्वास्थ्य शिक्षा देकर जागरूक किए जाने पर बल दिया।
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