देखिए, यहा तो पर्यटन ही उद्योग है..
यहा तो पर्यटन ही उद्योग है लेकिन बाखबर होने का दावा करने वालों की बेखबरी देखिए कि न तो पर्यटन संभाल पा रहे और न ही उद्योग। प्रकृति प्रदत्त धरोहरों को सहेजकर उसे बाजार में बदल देने का हुनर आने का दावा तो बहुत है लेकिन हकीकत कुछ जुदा सी है।
वाराणसी, [जयप्रकाश पाण्डेय]। यहा तो पर्यटन ही उद्योग है लेकिन बाखबर होने का दावा करने वालों की बेखबरी देखिए कि न तो पर्यटन संभाल पा रहे और न ही उद्योग। प्रकृति प्रदत्त धरोहरों को सहेजकर उसे बाजार में बदल देने का हुनर आने का दावा तो बहुत है, लेकिन हकीकत कुछ जुदा सी है।
उदाहरण देखें-सोनभद्र जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर स्थित हैं सलखन व बरगवां गांव। यहा प्रकृति की वह धरोहर यूं ही बेकार पड़ी लुट रही है, विज्ञान की दुनिया में जिसे असली खजाना माना जाता है। यहा है 150 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्मों के अंबार। नाम दे दिया फासिल्स पार्क जबकि यहा बाड़ तक नहीं बनाई गई, जानवर घूमते रहते हैं और बच्चे और चरवाहे इन जीवाश्मों का टुकड़ा तोड़-तोड़कर फेंकते रहते हैं। इनपर शोध करने वाले लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. कुमार व डॉ. विभूति राय के अनुसार सलखन व बरगवा के फासिल्स शैवाल निर्मित जीवाश्म हैं जो स्ट्रेमेटोलाइट कहलाते हैं। इनकी उम्र 150 करोड़ वर्ष है।
दूसरी ओर, इनसे कम आयु के जीवाश्मों वाला अमेरिका का यलो स्टोन नेशनल पार्क आज पर्यटकों से कमाई के बड़े जरियों में एक है। कई करोड़ डालर प्रतिवर्ष। क्या यलो स्टोन नेशनल पार्क की तर्ज पर सलखन फासिल्स पार्क को पर्यटन उद्योग में नहीं बदला जा सकता..वह भी तब जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक विदेशी पर्यटक काशी क्षेत्र में ही आते हैं,करीब 23 लाख प्रतिवर्ष।
काशी के विश्वविख्यात गंगा घाटों और तंग गलियों की ही बात लें। अपने बेहतरीन रखरखाव ने रोम की गलियों को पर्यटन उद्योग में अव्वल बना दिया। काशी में न तो गलियों का रखरखाव हो सका और न ही गंगा घाटों का। पर्यटन-उद्योग की संभावनाओं से प्रचुर पूर्वाचल की धरती पर राजदरी, देवदरी का वह जल प्रपात है जिसके बारे में स्विट्जरलैंड के एक पर्यटक दल ने कहा था-यह दुनिया का सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल है, बस विकसित करने की जरूरत है।
नजर दौड़ाएं तो टिकना मुश्किल हो जाए, रामनगर और चुनार का ऐतिहासिक किला, चंद्रकाता संतति की यादों को समेटे नौगढ़ का जयगढ़-विजयगढ़ दुर्ग, अगोरी का किला, सीतामढ़ी, सारनाथ, जौनपुर का शाही किला व ऐतिहासिक अटाला मस्जिद, विंध्य क्षेत्र त्रिकोण, काशी विश्वनाथ दरबार, घने जंगल, घाटिया, सिरसी व मुक्खा फाल जैसे प्रपात, ऐतिहासिक रिहंद बाध आदि। क्या पर्यटन की ऐसी प्रबल संभावनाओं को उद्योग में नहीं बदला जा सकता।
क्या हो कि बदले पूर्वाचल की तस्वीर
-पर्यटन स्थलों को त्वरित विकास पैकेज।
-पर्यटन स्थलों तक सुगम पहुंच मार्ग।
-अंतरराष्ट्रीय पर्यटन डायरी में सूचीबद्ध।
-स्वदेशी-विदेशी पर्यटकों के लिए उनके अनुकूल टूर पैकेज का यथाशीघ्र शुभारंभ।
-टूर पैकेज व ठहरावों का व्यापक प्रचार।
-प्रोत्साहन के लिए महोत्सव आयोजन।
-वाराणसी के अलावा अन्य पर्यटन स्थलों पर रात्रि ठहराव हेतु कॉटेज निर्माण।
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