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चिकित्सक बढ़ें तो बात बने

प्रतापगढ़ [रमेश त्रिपाठी]। जिले के आयुर्वेदिक एवं यूनानी अस्पतालों का हाल-बेहाल है। आठ ऐसे आयुर्वेदिक अस्पताल हैं, जहा अभी तक पद ही स्वीकृत नहीं हैं। चिकित्सकों की कमी के चलते कहीं फार्मेसिस्ट, तो कहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मी अस्पताल चला रहे हैं। खास बात यह है कि शहर का आयुर्वेदिक अस्पताल छीटपुर गाव में चल रहा है। यह शहर से लगभग आ

By Edited By: Published: Sat, 06 Oct 2012 04:40 PM (IST)Updated: Sat, 06 Oct 2012 04:56 PM (IST)
चिकित्सक बढ़ें तो बात बने

प्रतापगढ़ [रमेश त्रिपाठी]। जिले के आयुर्वेदिक एवं यूनानी अस्पतालों का हाल-बेहाल है। आठ ऐसे आयुर्वेदिक अस्पताल हैं, जहा अभी तक पद ही स्वीकृत नहीं हैं। चिकित्सकों की कमी के चलते कहीं फार्मेसिस्ट, तो कहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मी अस्पताल चला रहे हैं। खास बात यह है कि शहर का आयुर्वेदिक अस्पताल छीटपुर गाव में चल रहा है। यह शहर से लगभग आठ किमी दूर है। विभाग के आलाहाकिम का दफ्तर जहा किराए पर चल रहा है, वहीं उनको कहीं आने-जाने के लिए कोई वाहन भी नहीं है।

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भारत की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेदिक पद्धति उपेक्षा के चलते जिले में रेंग रही है। वैसे तो बेल्हा में आयुर्वेद के 54 व यूनानी के 6 चिकित्सालय हैं। यूनानी के तीन अस्पताल चिकित्सक विहीन हैं। इनमें कुंडा, बहलोलपुर तथा कली मुरादपुर शामिल हैं। परियावा, बरईपुर, सुवंसा में ही चिकित्सक हैं। आठ आयुर्वेदिक अस्पतालों में पदों का सृजन ही नहीं हुआ है। इनमें फेनहा, रखहा, मनभावना, सिघाई, गाधीबाजार, नसीरपुर, देल्हूपुर तथा वैश्यपुर सुवंसा अस्पताल शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश के तत्कालीन चिकित्सा शिक्षामंत्री प्रो शिवाकात ओझा के कार्यकाल में यह सभी अस्पताल खोले गए थे। इस बार वे पुन: रानीगंज के विधायक बने हैं। इससे लोगों में आस जगी है कि इन अस्पतालों में पद का सृजन हो सकेगा। जिले में आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियों के स्वीकृत 48 पदों में से 30 की तैनाती है। 18 पद रिक्त चल रहे हैं। इसी प्रकार फार्मेसिस्ट के 48 पदों में से 29 की तैनाती है। 19 पद रिक्त चल रहे हैं।

जिले के आयुर्वेदिक एवं यूनानी अस्पतालों में चिकित्सकों व फार्मेसिस्टों की कमी के चलते चिकित्सकीय व्यवस्था प्रभावित हो रही है। जिन आठ अस्पतालों में पद सृजन नहीं हुआ है, वहा किसी तरह कार्य चलाया जा रहा है। शासन को इससे अवगत कराया जा चुका है। कुछ वर्ष पूर्व शहर में किराए पर चल रहे आयुर्वेदिक अस्पताल को छीटपुर में स्थानातरित कर दिया गया।

[डॉ श्री निवास मिश्र, प्रभारी, आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्साधिकार, प्रतापगढ़]

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