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पर्यटन उद्योग की अपार संभावनाएं

गाजियाबाद,[फरमान अली]। विश्व के दस हॉट सिटी में शुमार इस शहर में पर्यटन उद्योग को अब तक उतना बढ़ावा नहीं मिल सका जितना मिलना चाहिए था। यहा पर एक दर्जन से ज्यादा प्राचीन स्थल हैं जिनका यदि रखरखाव उचित ढंग से हो जाए और उसे दर्शनीय स्थल के रूप में विस्तार दे दिया जाए तो शहर पयर्टन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है।

By Edited By: Published: Fri, 12 Oct 2012 08:14 AM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2012 12:56 PM (IST)
पर्यटन उद्योग की अपार संभावनाएं

गाजियाबाद, [फरमान अली]। विश्व के दस हॉट सिटी में शुमार इस शहर में पर्यटन उद्योग को अब तक उतना बढ़ावा नहीं मिल सका जितना मिलना चाहिए था। यहा पर एक दर्जन से ज्यादा प्राचीन स्थल हैं जिनका यदि रखरखाव उचित ढंग से हो जाए और उसे दर्शनीय स्थल के रूप में विस्तार दे दिया जाए तो शहर पयर्टन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है। इसके लिए शासन-प्रशासन को गंभीरता दिखाने की जरूरत है।

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यूं तो गाजियाबाद में अभी तक ऐसा कोई पर्यटन स्थल नहीं है जिसे उल्लेखनीय कहा जा सके। जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले इस जिले में कई प्राचीन धरोहर हैं जिनके दर्शन के लिए लोगों को प्रेरित किया जा सकता है। सबसे पहले बात करते हैं प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर की। कहा जाता है कि यह मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराना है और लंकापति रावण के पिता यहा पर हर साल पूजा अर्चना के लिए आते थे। साथ ही यहा पर प्रत्येक शिव रात्रि पर लाखों भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। इस मंदिर में दर्शन के लिए तो बड़े-बड़े लोग आज भी आते हैं, लेकिन किसी के पास और इसे बेहतर ढंग से विस्तार करने की फुरसत नहीं है। लोगों का कहना है कि यदि मंदिर की महत्ता का प्रचार प्रसार किया जाए तो देश विदेश से पर्यटक आ सकते हैं।

मोदीनगर का सीकरी खुर्द का मंदिर भी अपने आप में बहुत महत्व रखता है। एतिहासिक मंदिर में यूं तो चैत्र नवरात्र पर मेला लगता है और दूर-दराज से मंदिर में दर्शन के लिए लोग आते हैं। लेकिन कभी भी पयर्टन की दृष्टि से कुछ नहीं किया गया। इसी तरह डासना का देवी मंदिर भी एतिहासिक महत्व का है।

गाजियाबाद में कुछ वर्ष पहले पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रोजेक्ट बनाए भी गए। कुछ पर्यटन स्थल भी बनाए गए, लेकिन उनका रखरखाव ही नहीं हो पा रहा है। बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र में बनाया गया श्याम प्रसाद मुखर्जी पार्क व साईंउपवन के नजदीक इको फ्रेंडली पार्क इसका जीता जागता उदाहरण है। इसके अलावा पक्का तालाब, निवाड़ी में शूटिंग रेंज के साथ पर्यटन स्थल भी इसी श्रेणी में आते हैं।

अलबत्ता जीडीए ने अब मसूरी में 300एकड़ भूमि में सिटी फोरेस्ट योजना के तहत वाटर पार्क व झील के निर्माण कराने की घोषणा की थी। इसके साथ ही मत्स्य विभाग की तरफ से 100 एकड़ में फिश पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बात भी चल रही है। पिछले दिनों मत्स्य विभाग के उच्चाधिकारियों ने मौका मुआयना किया था। यदि इसी तरह मुरादनगर गंगनहर, मसूरी गंग नहर की झाल समेत और भी जगह पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाएं तो गाजियाबाद में पयर्टन उद्योग खूब -फल फूल सकता है।

होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि गाजियाबाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जुड़ा है। दिल्ली में दुनिया भर के सैलानियों का आना जाना रहता है। अगर कुछ खास स्थान यहा भी विकसित कर दिए जाएं तो वे इधर का भी रुख कर सकते हैं। दिल्ली सीमा पर अंतरराच्यीय बस अड्डा व रेलवे स्टेशन होने का लाभ भी पर्यटन उद्योग को मिल सकता है। यहा कुछ अच्छे होटल भी हैं जो पर्यटकों को लुभाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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