यातायात व्यवस्था का समाधान ढूंढना होगा
फिलहाल ध्वस्त हो चुकी महानगर की यातायात व्यवस्था को समय रहते सुधारना होगा। संसाधनों और संख्या बल की कमी से जूझती यातायात पुलिस, लोगों में यातायात नियमों के प्रति जागरुकता की कमी, फुटपाथों पर अतिक्रमण विशेष समस्या है।
गोरखपुर। फिलहाल ध्वस्त हो चुकी महानगर की यातायात व्यवस्था को समय रहते सुधारना होगा। संसाधनों और संख्या बल की कमी से जूझती यातायात पुलिस, लोगों में यातायात नियमों के प्रति जागरुकता की कमी, फुटपाथों पर अतिक्रमण विशेष समस्या है। सड़कों पर लगे ट्रासफार्मर, बिजली और टेलीफोन के खंभे और स्कूलों के खुले होने पर चलने वाली स्कूल बसें महानगर की यातायात व्यवस्था के लिए ऐसा मर्ज बन गई हैं कि जिसका इलाज हाल-फिलहाल दिख नहीं रहा है। सड़कों पर रोज दौड़ने वाली हजारों गाड़ियों के लिए न तो पार्किंग की कोई व्यवस्था है और न ही चौराहों पर जेब्रा क्रासिंग, ऐसे में बेहतर यातायात व्यवस्था की कल्पना करना भी बेमानी है।
यातायात व्यवस्था को ठीक रखने के लिए लगाए गए यातायात पुलिस कर्मियों की संख्या निर्धारित नियतन से कम है। इस वजह से भी शहर की यातायात व्यवस्था अक्सर चरमरा जाती है। यहा बता दें कि शहर में कुल 44 ऐसे छोटे-बड़े चौराहे हैं जिन पर यातायात व्यवस्था को ठीक रखने के लिए यातायात पुलिस कर्मियों को तैनात किया जाना जरूरी है लेकिन इनके संख्या बल में कमी की वजह से केवल बारह चौराहों पर ही यातायात पुलिस कर्मी तैनात होते हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में यातायात पुलिस में एक एएसपी के अलावा दो टीएसआइ, तीन एचसीपी, ग्यारह हेड कास्टेबल और अट्ठाइस सिपाही हैं। जबकि गोरखपुर के लिए एक टीआइ, तीन टीएसआइ, पंद्रह हेड कास्टेबल और पचास सिपाहियों का नियतन निर्धारित है। बताते चलें कि यह नियतन दशकों पहले निर्धारित किया गया था। वर्ष 2009 में एक प्रस्ताव तैयार कर यातायात महानिदेशालय को भेजा गया था। इसमें एक टीआइ, पाच टीएसआइ, पंद्रह एचसीपी, तीस हेड कास्टेबल और डेढ़ सौ सिपाहियों का नियतन निर्धारित करने की माग की गई थी। यातायात की चुनौतिया रोज बढ़ रही हैं लेकिन यह प्रस्ताव अभी भी मंजूरी की राह देख रहा है।
अधूरे ओवरब्रिज से बढ़ी मुश्किल
शहर में दो-दो निर्माणाधीन ओवरब्रिज महानगर की यातायात व्यवस्था के लिए बड़ी मुश्किल साबित हो रहे हैं। तरंग क्रासिंग और सूरजकुंड रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज का निर्माण वर्ष 2008 में शुरू हुआ था। इन दोनों का निर्माण कार्य जून 2010 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी तक दोनों स्थानों पर रेलवे लाइन के दोनों तरफ कुछ पाए ही खड़े होपाए हैं। इन दोनों ओवरब्रिज की वजह से महानगर के बड़े हिस्से का यातायात व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित है। जिसका असर पूरे शहर पर पड़ता है।
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