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विशेष सत्र में बही सद्भावना की बयार

रविवार की सुबह संसद की ओर जाती सड़क का नजारा कुछ अटपटा था। वीआइपी गाडि़यो की आवाजाही, सुरक्षाकर्मियो का जमावड़ा। लग ही नही रहा था कि रविवार का दिन है। राह चलते लोगो के सवालो पर नजदीक खड़े सुरक्षाकर्मी कहते आज खास बैठक है। संसद की पहली बैठक को 60 साल पूरे हो रहे है। इस खास मौके पर मानो संसद के भीतर और बाहर सद्भावना की बयार बह रही थी। सांसद सहनशील भी दिखे और संयमित भी।

By Edited By: Published: Sun, 13 May 2012 09:04 PM (IST)Updated: Sun, 13 May 2012 09:49 PM (IST)
विशेष सत्र में बही सद्भावना की बयार

नई दिल्ली [प्रणय उपाध्याय]। रविवार की सुबह संसद की ओर जाती सड़क का नजारा कुछ अटपटा था। वीआइपी गाड़ियों की आवाजाही, सुरक्षाकर्मियों का जमावड़ा। लग ही नहीं रहा था कि रविवार का दिन है। राह चलते लोगों के सवालों पर नजदीक खड़े सुरक्षाकर्मी कहते आज खास बैठक है। संसद की पहली बैठक को 60 साल पूरे हो रहे हैं। इस खास मौके पर मानों संसद के भीतर और बाहर सद्भावना की बयार बह रही थी। सांसद सहनशील भी दिखे और संयमित भी।

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संसदीय लोकतंत्र के साठ साला जश्न की रंगत और गहमा-गहमी पूरे परिसर में पसरी थी। दरवाजे से लेकर भीतरी हिस्सों में विशेष साज-सज्जा थी तो शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रम में कोई कमी न रह जाए इसके लिए बाकायदा इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की सेवाएं भी ली गई थीं। संसद भवन के मुख्य द्वार पर फूलों से सजा 60 का अंक दर्शा रहा था कि इस इमारत में आज से छह दशक पहले भारतीय लोकतंत्र का आगाज हुआ था। ठीक 11 बजे लोकसभा की बैठक राष्ट्रगान के साथ शुरू हुई [सामान्यतया ऐसा सत्र की शुरुआत में होता है]। राज्यसभा की बैठक की शुरुआत मनोनीत सांसद अनु आगा की शपथ से हुई।

संसद में सजावट विशेष थी। दोनों सदनों के नेताओं के भाषण के साथ शुरू हुई संसद की यात्रा पर हुई बहस में सांसदों ने लोकतंत्र की मूल भावना का पूरा लिहाज किया। विपक्षी नेताओं ने सत्ता पक्ष पर आरोप भी जड़े तो काफी सहनशीलता के साथ न केवल उनके भाषण सुने गए, बल्कि दमदार दलीलों पर मेजें भी थपथपाई गई।

दोनों सदनों में बगैर ब्रेक के कार्यवाही चली। जश्न के इस मौके पर संसदीय कार्य मंत्रालय ने विशेष भोज का इंतजाम किया था। संसद के कमरा नंबर 70 में पक्ष और विपक्ष के सांसद साथ-साथ भोज करते नजर आए। इस विशेष अवसर पर संसद में सभी आगंतुकों के लिए भी भोजन का इंतजाम किया था। इस त्योहारी माहौल में अधिकांश भोजन शाकाहारी ही था।

भोजन में विशेष उत्सव की सुगंध थी, तो संसद के कामकाजी माहौल में कुछ सुस्ती भी साफ दिखाई दे रही थी। आम दिनों की भागदौड़ से परे कई कमरे बंद थे। स्पष्ट था कि यह विशेष इंतजाम केवल विशेष दिन के लिए है। सोमवार को सांसद मिलेंगे तो गतिरोध और टकराव के कई पुराने मुद्दे भी लौट आएंगे।

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