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रुहेलखंड में उच्च शिक्षा की ऊंची उड़ान

बरेली। रुहेलखंड में उच्च शिक्षा ने भी पेंग बढ़ा दी है। ऊंची पढ़ाई की बड़ी कोशिशें न केवल सरकारी बल्कि निजी स्तर पर जारी हैं। अब इंटर पास बच्चों को पढ़ाई के लिए दिल्ली, इलाहाबाद, लखनऊ का मुंह नहीं ताकना पड़ता। हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं यहा।

By Edited By: Published: Thu, 04 Oct 2012 03:19 PM (IST)Updated: Thu, 04 Oct 2012 04:05 PM (IST)
रुहेलखंड में उच्च शिक्षा की ऊंची उड़ान

बरेली। रुहेलखंड में उच्च शिक्षा ने भी पेंग बढ़ा दी है। ऊंची पढ़ाई की बड़ी कोशिशें न केवल सरकारी बल्कि निजी स्तर पर जारी हैं। अब इंटर पास बच्चों को पढ़ाई के लिए दिल्ली, इलाहाबाद, लखनऊ का मुंह नहीं ताकना पड़ता। हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं यहा। बरेली कालेज रुहेलखंड की शान बना हुआ है। अपने शानदार भवन और मौजूद विषयों से पूरे क्षेत्र के छात्रों की पहली पसंद है। यही वजह है कि उसे एशिया में सबसे ज्यादा छात्र संख्या वाले कालेज का तमगा हासिल है। पीछे पीलीभीत, बदायूं और शाहजहापुर में भी नहीं हैं मगर कुछ कसक बाकी है। सभी जगह को-एड कालेजों की सख्त दरकार है। कुछ के प्रस्ताव बनाए गए हैं। अल्पसंख्यक बहुल्य इलाकों में नए डिग्री कालेज खोलने की योजना धरातल पर आ चुकी है। सात अन्य डिग्री कालेज रुहेलखंड यूनिवर्सिटी परिक्षेत्र में प्रस्तावित हैं। हर ब्लाक में डिग्री कालेज की मुहिम शुरू की गई है। अगर यह योजनाएं परवान चढ़ीं तो उच्च शिक्षा की तस्वीर ही बदल जाएगी।

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बरेली

बरेली कालेज को छोड़ दें तो शहर में कोई भी दूसरा डिग्री कालेज ऐसा नहीं है जिसमें को-एजुकेशन की व्यवस्था हो। इसलिए यहा स्नातक के सभी वर्गो में चार हजार सीटों के लिए औसतन 35 से 40 हजार और स्नातक की छह सौ सीटों के लिए 15 हजार से ज्यादा छात्र पंजीकरण कराते हैं।

सिर्फ तीन राजकीय कालेज

जिले में महज तीन ही राजकीय डिग्री कालेज हैं। एक शहर में वीरागना रानी अवंतीबाई महिला महाविद्यालय, दूसरा फरीदपुर में राजकीय डिग्री कालेज और तीसरा आवला में डॉ.राममनोहर लोहिया राजकीय डिग्री कालेज। शहर में लड़कों के लिए कोई भी राजकीय डिग्री कालेज नहीं है। बरेली कालेज को छोड़कर दूसरा अनुदानित कालेज भी लड़कों के लिए नहीं है। इसके बावजूद भी छात्रों के लिए डिग्री कालेजों की जरूरत है, क्योंकि हर साल औसतन 60 हजार छात्र जिले में इंटर उत्तीर्ण करती हैं।

फॉरन लैंग्वेज भी पढ़ें

बरेली कालेज उत्तर भारत का ऐसा सबसे बड़ा डिग्री कालेज माना जाता है, जहा हर साल 50 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं परीक्षा देते हैं। यहा संस्थागत पाच हजार और व्यक्तिगत करीब 50 हजार परीक्षार्थी परीक्षाओं में सम्मिलित होते हैं। बरेली का यह इकलौता ऐसा कालेज है, जिसके बड़े कैंपस में किसी यूनिवर्सिटी से कम सुविधाएं नहीं हैं। लॉ, बीएड, बीबीए, बीसीए के अलावा स्नातक और परास्नातक स्तर पर कई विषय हैं, जो रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अन्य कालेजों में नहीं। बेचलर ऑफ लाइब्रेरी साइंस कराने के लिए यह कालेज रुहेलखंड क्षेत्र में अकेला संस्थान है, तो यहा परसियन लैंग्वेज के कोर्स भी कराए जाते हैं। दर्शनशास्त्र, उर्दू, साख्यिकी, शारीरिक शिक्षा, भूगोल, इतिहास और ललित कला जैसे विषयों में भी यहा स्नातक एवं स्नातकोत्तर की पढ़ाई की व्यवस्था है।

.और के लिए प्रयास

बरेली कालेज में मास्टर ऑफ लाइब्रेरी साइंस, एलएलएम, होम साइंस, मनोविज्ञान, एमएड, मिलिट्री साइंस में पीजी, कृषि में स्नातक आदि विषयों की संबद्धता हासिल करने के लिए प्रयास चल रहे हैं।

सुभाषनगर में डिग्री कालेज

बदायूं रोड पर स्थित सौ से ज्यादा गाव में रहने वाली हजारों छात्राएं हर साल इंटर पास करने के बाद उच्च शिक्षा से वंचित रह जाती हैं, इसलिए सुभाषनगर में बीएसए दफ्तर की खाली पड़ी भूमि पर डिग्री कालेज बनाने की माग वर्षो से उठती आ रही है। इसका शासन को प्रस्ताव भी भेजा जा चुका है। शासन से डिग्री कालेज मंजूर भी हुआ लेकिन बजट के अभाव में अभी तक निर्माण अटका हुआ है। अब चूंकि नई सरकार बनी है इसलिए इसके लिए नए सिरे से पहल करने की जरूरत है।

इस्लामिया कालेज भी लाइन में

शहर के एफआर इस्लामिया इंटर कालेज भी डिग्री कालेज बनने की लाइन में है। यहा पर्याप्त भूमि है, यदि सही दिशा में प्रयास हो तो यहा उच्च शिक्षा का रास्ता खुल सकता है। इसके लिए पूर्व में कई बार प्रयास किए गए लेकिन वे आगे नहीं बढ़ सकें। प्रशासन अगर इस ओर ध्यान देता है तो अल्पसंख्यक छात्रों को खासकर फायदा होगा।

हर मोड़ पर मिलेगी 'उच्च शिक्षा'

उच्च शिक्षा को लेकर सरकार के कदम बड़ी तैयारी की तरफ बढ़ चुके हैं। समूचे रुहेलखंड में नए डिग्री कालेज खोलने की तैयारी है। बरेली के आवला, बिशारतगंज, फरीदपुर, फतेहंगज पूर्वी के प्रस्ताव शासन के पास हैं। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के बाद अल्ससंख्यक बहुल्य इलाकों में भी डिग्री कालेज खोलने की योजना जमीन पर आ चुकी है। यानी सभी 15 ब्लाकों में एक डिग्री कालेज। जमीन चिह्नित की जा रही है, जिसके बाद तुरंत काम शुरू हो जाएगा।

कृषि शिक्षा है सपना

यहा उच्च शिक्षा के रूप में कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत है। इसके बावजूद इस दिशा में प्रयास शून्य हैं। मुजरिया के एक इंटर कालेज में बारहवीं कक्षा तक कृषि विषय की मान्यता है। इसके बाद कृषि से स्नातक या परास्नातक करने की किसी कालेज में व्यवस्था नहीं है। इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।

पीलीभीत

पीलीभीत ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कदम तो बढ़ाए हैं लेकिन फिर भी कुछ कमिया ऐसी हैं जो छात्र-छात्राओं को अखरती हैं। आज जहा बोलचाल की भाषा तक इंगलिश हो रही है, ऐसे में यहा अंग्रेजी में एमए की सुविधा तक नहीं है। शहर में पहले तो उच्च शिक्षा इकलौते उपाधि महाविद्यालय पर ही टिकी थी लेकिन बाद में राजकीय महिला महाविद्यालय स्थापित हो जाने से लड़कियों को बीएससी, बीकाम पढ़ाई की सुविधा मिल गई। इस महाविद्यालय में अब एमकाम की कक्षाएं भी खुल चुकी हैं। शहर के सबसे पुराने उपाधि महाविद्यालय की प्रगति अवरुद्ध है जबकि जिले के अन्य महाविद्यालयों की तुलना में यहा छात्र-छात्राओं की संख्या सर्वाधिक है। शहर के निकट माधोटाडा रोड पर एक प्राइवेट महाविद्यालय खुल जाने से विद्यार्थियों को कुछ राहत मिली लेकिन उपाधि कालेज में नई कक्षाओं की जरूरत भी बनी हुई है। पूरनपुर में दो महाविद्यालय हैं लेकिन किसी में भी स्नात्कोत्तर कक्षाएं नहीं हैं। बीसलपुर के राजकीय महाविद्यालय में महत्वपूर्ण विषयों की स्नाकोत्तर कक्षाओं की कमी है।

एलएलएम की दरकार

वकालत की पढ़ाई के लिए पहले यहा के छात्रों को बरेली अथवा लखनऊ जाना पड़ता था लेकिन हाफिज रहमत खा विधि महाविद्यालय खुल जाने से एलएलबी की सुविधा हो गई।

शाहजहापुर

निश्चित तौर पर जिले में उच्च शिक्षा की बुनियाद जर्जर जरूर है लेकिन सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की इच्छा शक्ति और जुगलबंदी में समस्या का समाधान निहित है। इसी साल के इंटर पास आउट स्टूडेंट्स की बात करें तो यह आकड़ा 27,752 पहुंचता है जबकि पूरे जिले के डिग्री कॉलेजों की सीट क्षमता महज 7, 673 है। यानी करीब एक तिहाई छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा मुहैया कराना जिले के लिए संभव नहीं था। यूपी बोर्ड का रिजल्ट साल दर साल सुधर रहा है। ऐसे में जिले को तमाम नए डिग्री कालेजों की तत्काल आवश्यकता है। ऐसा नहीं हुआ तो छात्रों को दूसरे शहरों की ओर ही रुख करना पड़ेगा।

हालाकि, करीब डेढ़ दशक पहले राजकीय महाविद्यालय पंडित दीनदयाल उपाध्याय डिग्री कॉलेज, तिलहर में खुला था। स्ववित्त पोषित कॉलेज तो पनप रहे हैं लेकिन सरकारी कवायद अगर रंग लाए तो बात बने। दुर्भाग्य यह है कि अभी जिले में कोई डिग्री कॉलेज प्रस्तावित नहीं है लेकिन जरूरत हर ब्लॉक में कम से कम एक डिग्री कॉलेज की है। हालाकि, शाहजहापुर में भी केंद्र सरकार की मल्टी सेक्टोरियल योजना पर काम शुरू हो चुका है। जल्द ही इस ओर प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। यह जिला शिक्षा के लिहाज से इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहा बड़े पैमाने पर उद्योगों का आगमन हो रहा है।

शाहजहापुर काम शुरू हो चुका है।जल्द ही इस ओर प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। यह जिला शिक्षा के लिहाज से इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहा बड़े पैमाने पर उद्योगों का आगमन हो रहा है।

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