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बिजली से कंगाल, रोशनी में लाजवाब

ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी मुरादाबाद छजलैट ब्लाक का छोटा सा गाव। गाव में सवा सौ परिवार। सभी खेती-बाड़ी के पैरोकार। बिजली के नाम पर चंद पोल और ट्रासफार्मर। कनेक्शन भी महज छह। पर, रोशनी लाजवाब। बिजली की आवाजाही से बेफिक्र हो यह गाव अब न केवल हर रात रोशन रहता है,

By Edited By: Published: Mon, 01 Oct 2012 10:54 AM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2012 11:05 AM (IST)
बिजली से कंगाल, रोशनी में लाजवाब

मुरादाबाद, [ज्ञानेंद्र त्रिपाठी]। छजलैट ब्लाक का छोटा सा गाव। गाव में सवा सौ परिवार। सभी खेती-बाड़ी के पैरोकार। बिजली के नाम पर चंद पोल और ट्रासफार्मर। कनेक्शन भी महज छह। पर, रोशनी लाजवाब। बिजली की आवाजाही से बेफिक्र हो यह गाव अब न केवल हर रात रोशन रहता है, बल्कि पड़ोसी गावों को रात के अंधेरे से निबटने का सफल रास्ता दिखाता है, जिसका नाम है सौर ऊर्जा।

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सौर ऊर्जा की मशाल थामने वाला नकसंदाबाद भी तीन साल पहले और गावों की तरह बिजली का रोना रोता था। बिजली के लिए जनप्रतिनिधियों के सामने तकरीर करता था। हक से अपना हिस्सा मागता था, लेकिन इसी गाव के अरविंद इससे अलग बिजली के इतर रोशनी की नई राह तलाशने में लगे थे। वर्ष 2009 में वह मुरादाबाद शहर आए। विकास भवन स्थित नेडा यानी सौर ऊर्जा अभियान के संचालक विभाग से मिले। सौर ऊर्जा को समझा और चल पड़े सूरज की शक्ति से गाव को रोशन करने। उनकी बातों पर जब गाव वालों को विश्वास नहीं हुआ तो सबसे पहले अपने घर में इस प्रयोग को आजमाया। उनके घर के उजाले ने पड़ोसियों का विश्वास जीत लिया। फिर चंद्र प्रकाश और उसके बाद पूरा गाव एक-एक कर इस राह पर हो लिया।

इस दौरान गाव में ट्रासफार्मर लगा, खंभे लगे, तार खींचे गए, हर घर को कनेक्शन लेने के लिए प्रेरित किया गया, लेकिन बिजली की आख मिचौली और बदहाली देख कनेक्शन मात्र छह ने लिया। ठीक इसके उलट सौर ऊर्जा की राह पर चलने वालों की संख्या तीन साल में पचासी के पार हो गई। इनके हौसले को पंख दिए इनकी आनापाई जमा करने वाले एक बैंक ने। लोन की सुविधा से सौर ऊर्जा की घरेलू लाइटें एक-एक कर जल उठीं तो गाव के चौराहे, नहर व मंदिर को सौर स्ट्रीट लाइट से रोशन करने का काम बैंक ने मुफ्त किया। तब बिजली को बिलबिलाता यह गाव अब रोशनी की मिसाल बन गया है।

अरविंद व चंद्र प्रकाश का प्रयास मुकाम पा गया है। रात भर गाव के 85 घर रोशनी से भरे रहते हैं तो चौराहे, नहर व मंदिर भी गुलजार रहते हैं। इनकी रोशनी उन पड़ोसी गावों को भी अपनी राह चलने को प्रेरित करती है, जो अब भी बिजली के भरोसे मुकम्मल रोशनी की आस लगाए बैठे हैं।

जब मैंने सौर ऊर्जा अपनाई तब लोन की व्यवस्था नहीं थी। किसी तरह पैसों की व्यवस्था की। अब बैंक लोन पर सोलर लाइट उपलब्ध करा रहा है। ऐसे में अब इसे लगाना आसान है। बिजली के आने-जाने का कोई भरोसा नहीं है। कभी-कभी तो चौबीस घटे में दो घटे भी नहीं रहती, इसलिए यहा बिजली नहीं सौर ऊर्जा महत्वपूर्ण है।

अरविंद (गाव में सौर ऊर्जा के पथ प्रदर्शक)

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