कांच की कालिख को ले जाए काल
फिरोजाबाद। ताज ट्रिपेजियम जोन का अहम हिस्सा काच नगरी में प्रदूषण रोकने को इंतजाम हुए, पर पर्यावरण की सरकारी मुहिम कागजों में बहुत कुछ सिमट गयी। अंजाम है प्रदूषण ग्राफ बढ़ा है। विदेशों तक के ड्राइंगरूम संवारने वाले शहर की तस्वीर बदरंग है। बातें बहुत हैं पर सबका साराश यह कि तस्वीर में नए रंग भरकर बेहतर कल बनाने क
फिरोजाबाद। ताज ट्रिपेजियम जोन का अहम हिस्सा काच नगरी में प्रदूषण रोकने को इंतजाम हुए, पर पर्यावरण की सरकारी मुहिम कागजों में बहुत कुछ सिमट गयी। अंजाम है प्रदूषण ग्राफ बढ़ा है। विदेशों तक के ड्राइंगरूम संवारने वाले शहर की तस्वीर बदरंग है। बातें बहुत हैं पर सबका साराश यह
कि तस्वीर में नए रंग भरकर बेहतर कल बनाने की अब सार्थक कोशिश हो। शहर में काले धुएं से रंगती हुई पकाई भंिट्ठया रसूलपुर से ही अपना रंग दिखाने लगती हैं। कई बार तो हाईवे से गुजरते सैलानी भी इसे देख शहर की काली तस्वीर लेकर लौटते हैं। इस तस्वीर को ज्यादा बदरंग करते हैं आसफाबाद के निकट लगे कूड़े के बड़े-बड़े ढेर। स्थिति बदलने के लिए इन कूड़े के ढेरों को दूर फिंकवाया जा सकता है। साथ ही ट्रैचिंग ग्राउंड प्रोजेक्ट को जल्द पूर्ण कराना होगा। इसके अलावा फैक्ट्रियों के मैटेलाइजिंग प्लाट से निकलते केमिकल नालियों में बहाने से पहले वहा प्रदूषित ट्रीटमेंट आवश्यक कर दिया जाए, बस इसके लिए नियम के पालनभर की जरूरत है। यमुना को मैला कर रहा सीवेज भी शोधित किया जाना था। इसके लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट दिसंबर 2010 तक पूर्ण करना था। जमीन न मिल पाने से दिक्कत आई। सितंबर 2013 तक का वक्त शासन से मिल गया है। ऐसे में इस कार्य को समय से कार्य पूर्ण करने का प्रयास किए जाने चाहिए। इसके अलावा अभी सभी पकाई भंिट्टयों को गैस नहीं मिल पा रही है। इसे जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाए, जिससे आसमान की कालिख का काल आए।
क्या बहुत जरूरी-
-पकाई भंिट्ठयों को गैस दिलाने की जरूरत
-सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट बनाए जाने की योजना जल्द पूरी हो।
-खत्ताघर बनाने की योजना पर तेज काम हो
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