Move to Jagran APP

साख को लेकर चिंतित संसद

संसद 60 की हो गई। लेकिन यह आशंका बरकरार है कि खुद सदस्यो के ही आचरण से इसकी गरिमा धूमिल न हो जाए। रविवार को आयोजित विशेष बैठक मे लोकतंत्र के इस पड़ाव की प्रशंसा यूं तो हर किसी के जुबान पर थी। कसक यह भी थी कि कर्तव्यो मे कही न कही चूक हो गई है। अब वक्त है कि संभल जाएं।

By Edited By: Published: Sun, 13 May 2012 08:23 PM (IST)Updated: Tue, 15 May 2012 07:57 AM (IST)
साख को लेकर चिंतित संसद

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। संसद 60 की हो गई। लेकिन यह आशंका बरकरार है कि खुद सदस्यों के ही आचरण से इसकी गरिमा धूमिल न हो जाए। रविवार को आयोजित विशेष बैठक में लोकतंत्र के इस पड़ाव की प्रशंसा यूं तो हर किसी के जुबान पर थी। कसक यह भी थी कि कर्तव्यों में कहीं न कहीं चूक हो गई है। अब वक्त है कि संभल जाएं। भारतीय संसद के छह दशक के सफर पर दोनों सदनों में चली चर्चा के बाद सदस्यों से गरिमापूर्ण आचरण करने का प्रस्ताव जारी कर इसका उल्लेख कर दिया गया। यह और बात है कि बैठक के दौरान ही कुछ सदस्यों ने अपने रुख से स्पष्ट कर दिया कि प्रस्ताव जितना आसान है, उसका अनुपालन उतना ही मुश्किल है।

prime article banner

विशेष बैठक शायद उसकी एक झलक थी, जिसकी संसद से अपेक्षा की जाती है। यानी एक-दूसरे को सुनने का संयम। लोकतंत्र पर चर्चा छिड़ी तो लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से लेकर प्रणब मुखर्जी, लालकृष्ण आडवाणी, सोनिया गांधी, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, शरद यादव, मुलायम सिंह यादव समेत सभी सदस्यों ने माना कि भारतीय संसद में इसका असली रूप दिखता है। प्रधानमंत्री ने जहां इसे नया अध्याय बताया, वहीं आडवाणी ने भारत में विरोधी विचारधारा के प्रति भी सहिष्णुता और आदर को लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत बताया। बहरहाल, हर किसी के लफ्जों में एक कसक थी कि काश! संसद की कार्यवाही बाधित न हो। प्रधानमंत्री ने आगाह किया कि ऐसा आचरण नहीं होना चाहिए कि बाहर से कोई अंगुली उठा सके। भाजपा के वरिष्ठ नेता जेटली ने कहा कि संसद सबसे ऊपर है, लिहाजा हमारा आचरण इस स्तर का होना चाहिए कि नीचे पंचायत तक उसका अनुसरण हो सके। प्रणब, सोनिया, सुषमा समेत हर किसी ने आगाह किया कि गरिमा अक्षुण्ण रखना है तो सदस्यों को इसके प्रति सतर्क होना ही पड़ेगा।

सोनिया व मीरा कुमार ने संसद में पारित ऐतिहासिक विधेयकों और संशोधनों का जिक्र किया तो शरद यादव, मुलायम सिंह, मायावती जैसे वरिष्ठ सदस्यों ने कई मामलों में संसद की चूक की ओर ध्यानाकर्षण किया। वहीं शरद यादव बोले कि अगर देश में 80 फीसदी लोग गरीब और पिछड़े बने रहेंगे तो न लोकतंत्र और न ही संसद का विकास हो सकता है।

दोनों सदनों में अलग-अलग चली चर्चा के बाद सर्वसम्मत प्रस्ताव जारी कर सदस्यों से अपेक्षा की गई कि वह ऐसा आचरण करेंगे जिससे संसद की गरिमा बनी रहे। एक दशक पहले भी इस बाबत एक आचार संहिता बनाई गई थी, जिस पर सभी दलों ने हस्ताक्षर किए थे। लेकिन दूसरे ही दिन से इसकी अवहेलना शुरू हो गई थी।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.