नरेश कुनबे सहित साइकिल पर सवार
बसपा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल शुक्रवार को पूरे कुनबे के साथ फिर साइकिल पर सवार हो गये। उन्होंने बसपा में जाने को गलती मानी और माफी मांगी। इसी के साथ उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता छोड़ने का भी एलान किया। सपा में वापसी करने वालों में हरदोई से विधायक उनके पुत्र नितिन अग्रवाल, नरेश के भाई व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, मुकेश की पत्नी व जिला पंचायत अध्यक्ष कामिनी अग्रवाल और पूर्व विधान परिषद सदस्य राजकुमार अग्रवाल रहे।
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। बसपा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नरेश अग्रवाल शुक्रवार को पूरे कुनबे के साथ फिर साइकिल पर सवार हो गये। उन्होंने बसपा में जाने को गलती मानी और माफी मांगी। इसी के साथ उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता छोड़ने का भी एलान किया। सपा में वापसी करने वालों में हरदोई से विधायक उनके पुत्र नितिन अग्रवाल, नरेश के भाई व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, मुकेश की पत्नी व जिला पंचायत अध्यक्ष कामिनी अग्रवाल और पूर्व विधान परिषद सदस्य राजकुमार अग्रवाल रहे। हरदोई की बावन क्षेत्र की बसपा विधायक राजेश्वरी ने भी सपा का दामन थामा। बसपा ने राजेश्वरी का भी टिकट काट दिया था।
नरेश ने इस मौके पर सपा कार्यालय में खासी भीड़ जुटाकर अपनी ताकत का भी अहसास कराया। मुलायम ने उन्हें हाथों-हाथ लिया और बातों ही बातों में यह भी जता दिया कि सरकार बनने पर वह मंत्री बनेंगे।
नरेश की सपा में वापसी की वजह उनके विधायक बेटे का टिकट रही। बसपा ने इस बार भी नितिन को उम्मीदवार बनाने का एलान किया था, पर बीते शनिवार को निर्णय बदल दिया। नाराज नरेश ने इस पर सपा में अपना नया ठौर तलाश लिया। संभावना जताई जा रही है कि सपा घोषित उम्मीदवार की जगह अब उनके बेटे को हरदोई सीट से टिकट देगी।
नरेश की वापसी के लिए सपा कार्यालय में आज वैसा ही मंच बना था, जैसा इससे पहले दिग्गज नेता मोहम्मद आजम खां की वापसी के वक्त। वैसे, आमतौर पर दूसरे दलों से आने वाले नेताओं की 'ज्वाइनिंग' पार्टी कार्यालय में बने सभागार में कराई जाती रही है। आज तामझाम में भी कोई कमी नहीं थी। सपा कार्यालय की ओर जाने वाली सड़कों के किनारे दूर-दूर तक खड़ी लग्जरी गाड़ियां शामिल होने वाले नेताओं का 'स्टेटस' बता रही थी। भीड़ के कारण जाम की स्थिति थी।
मंच पर पहले नेता विरोधी दल शिवपाल सिंह यादव पहुंचे, उसके बाद कुनबे सहित नरेश अग्रवाल। मुलायम सिंह के साथ पहुंचे पूर्व मंत्री अशोक बाजपेई ने नितिन को हटा मुलायम के बगल वाली कुर्सी संभाली। क्षेत्रीय राजनीति में नरेश और अशोक को विपरीत ध्रुव माना जाता है। हरदोई से सपा सांसद ऊषा वर्मा ने पीछे की सीट संभाली तो उनकी जेठानी और बसपा विधायक राजेश्वरी ने आगे की। दिल्ली से न आ पाने के कारण अखिलेश यादव समारोह में मौजूद न हो सके। नरेश और उनके साथियों की वापसी का स्वागत करते हुए जिले के पुराने नेताओं का जोर इस बात पर रहा कि पार्टी के आज्ञाकारी और वफादार सिपाही होने के नाते वह नेतृत्व की हर इच्छा का पालन करेंगे।
मुलायम ने कहा कि नरेश के साथ आने का संदेश पूरे उप्र में चला गया है। अब वह सपा के लिए प्रचार में जुटेंगे। नरेश किसी भी पार्टी में रहे हों पर उनका सपा से सम्पर्क बराबर बना रहा है। वह कभी किसी के खिलाफ नहीं बल्कि अपने को आगे बढ़ाने का काम करते रहे है।
सपा प्रमुख ने कहा, बसपा सरकार में लूट की हिस्सेदारी को लेकर झगड़ा मचा हुआ है। जिन्होंने हिस्सा कम दिया है वहीं निकाले जा रहे हैं।
ये भी हुए शामिल : भाजपा के हरदोई के पूर्व जिलाध्यक्ष रामबहादुर सिंह, रालोद के ठाकुर सुनील सिंह और बुलंदशहर के जिलाध्यक्ष वीरपाल, गोंडा के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शमीम अहमद भी तमाम समर्थकों सहित सपा में शामिल हुए।
कभी इधर कभी उधर
नरेश अग्रवाल मूल रूप से कांग्रेसी हैं। वह कांग्रेस सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। 1997 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर लोकतांत्रिक कांग्रेस बना ली और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बने। 2002 का चुनाव उन्होंने सपा के टिकट पर लड़ा। वह मुलायम सिंह यादव की नेतृत्व वाली सरकार में भी मंत्री बने। 2007 के चुनाव में भी वह सपा के टिकट से जीते लेकिन 28 मई 2008 को वह विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए। बसपा ने उन्हें फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाने के साथ पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बना दिया। फर्रुखाबाद चुनाव में हार के बाद बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया दिया। उनका कार्यकाल अप्रैल 2012 में समाप्त हो रहा था। दूसरी ओर विधानसभा वाली उनकी सीट पर 2008 में हुए उपचुनाव में उनके पुत्र नितिन अग्रवाल बसपा से विधायक चुने गये थे।
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