उत्तर प्रदेश की संस्कृति
तीसरी सदी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के उदय ने कला के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा। सारनाथ का प्रस्तर स्तंभ इसका अप्रतिम उदाहरण है। कुषाण युग में मथुरा स्थापत्य कला अपने शिखर पर पहुंच गई है। बुद्ध की मूर्तियां उस दौर के सबसे महत्वपूर्ण कला कृतियां हैं। कला की दृष्टि से गुप्त युग के इतिहास में स्वर्ण युग का दर्जा प्राप्त है।
लखनऊ। तीसरी सदी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के उदय ने कला के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा। सारनाथ का प्रस्तर स्तंभ इसका अप्रतिम उदाहरण है। कुषाण युग में मथुरा स्थापत्य कला अपने शिखर पर पहुंच गई है। बुद्ध की मूर्तियां उस दौर के सबसे महत्वपूर्ण कला कृतियां हैं। कला की दृष्टि से गुप्त युग के इतिहास में स्वर्ण युग का दर्जा प्राप्त है। देवगढ़ का पत्थर मंदिर और भीतर गांव का मंदिर उस युग की महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं। चंदेल शासकों द्वारा निर्मित कालिंजर किला को अभेद्द दुर्ग माना जाता है। शर्की साम्राज्य के शासक इब्राहीम शर्की ने 1408 में जौनपुर में प्रसिद्ध अटाला मस्जिद का निर्माण कराया था। मुगल शासन के दौरान स्थापत्य कला शिखर पर पहुंच गई। फतेहपुर-सीकरी, आगरा किला, सिकंदरा में अकबर का मकबरा और इलाहाबाद किला स्थापत्य कला के अदभुत नमूने हैं। शाहजहां द्वारा बनवाया गया ताजमहल दुनिया के सात आश्चर्यो में शामिल है। अवध के नवाबों ने भी कला को प्रोत्साहन दिया। लखनवी शैली में बनाया गया आसफउद्दौला द्वारा निर्मित बड़ा इमामबाड़ा इसका प्रतिनिधि हस्ताक्षर है।
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